Mere Ganpati: जब कामासुर के अत्याचारों से तीनों लोकों में मचा था हाहाकार, तब गणपति ने लिया विकट अवतार
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Mere Ganpati: जब कामासुर के अत्याचारों से तीनों लोकों में मचा था हाहाकार, तब गणपति ने लिया विकट अवतार

Lord Ganesha: भगवान श्रीगणेश जी के आठ नामों में एक नाम विकट भी है. यह प्रसिद्ध अवतार कामासुर का संहारक बना. इसमें महागणपति ने मयूर को अपना वाहन बनाया है.

 

भगवान गणेश

Lord Ganesha Vikat Avatar: भगवान विष्णु जब जालंधर के वध हेतु वृंदा का तप नष्ट करने गये थे. उसी समय उनके तेज से कामासुर पैदा हुआ. शुक्राचार्य से दीक्षा प्राप्त कर और पञ्चाक्षरी मंत्र का जप किया. भगवान् शिव को प्रसन्न करने के लिए उसने अन्न, जल का त्याग कर दिया. दिव्य सहस्र वर्ष पूरे होने पर भगवान शिव प्रसन्न हुए. भगवान शिव ने दर्शन दिए. उसने वर याचना की कि प्रभो! मुझे ब्रह्माण्ड का राज्य तथा अपनी भक्ति प्रदान करें. भगवान शिव ने कहा कि यद्यपि तुमने अत्यन्त दुर्लभ तथा देव-दुखद वर की याचना की है, तथापि मैं तुम्हारी कामना पूरी करता हूं.

तीनों लोकों पर किया राज

शुक्राचार्य ने कामासुर को दैत्यों का अधिपति बना दिया. कामासुर ने अत्यन्त सुंदर रतिद नामक नगर में अपनी राजधानी बनाई. उसने रावण, शम्बर, महिष, बलि तथा दुर्मद को अपनी सेना का प्रधान बनाया. वर के प्रभाव से कामासुर ने कुछ ही समय में तीनों लोकों पर अधिकार प्राप्त कर लिया. उसके राज्य में समस्त धर्म-कर्म नष्ट हो गए. चारों तरफ झूठ, छल-कपट का ही साम्राज्य स्थापित हो गया. देवता, मुनि और धर्म परायण लोग अतिशय कष्ट पाने लगे.

देवताओं ने गणेश जी की अराधना की 

महर्षि मुगल की प्रेरणा से समस्त देवता और मुनि मयूरेश क्षेत्र में पहुंचे. वहां उन्होंने श्रद्धा-भक्तिपूर्वक गणेश की पूजा की. देवताओं की उपासना से प्रसन्न होकर मयूर वाहन में भगवान गणेश प्रकट हुए. उन्होंने देवताओं से वर मांगने के लिये कहा. देवताओं ने कहा कि प्रभो! आप हमारी रक्षा करें. तथास्तु! कहकर भगवान विकट अन्तर्धान हो गए. 

विकटो नाम विख्यातः कामासुरविदाहकः । 

मयूरवाहनश्चार्य सौरब्रह्मधरः स्मृतः ॥ 

चारों तरफ हुआ विकट का जय-जयकार

भगवान विकट ने देवताओं के साथ कामासुर के नगर को घेर लिया. उस भीषण युद्ध में कामासुर के दो पुत्र शोषण और दुष्पूर मारे गए. भगवान विकट ने कामासुर को चेतावनी दी कि देवताओं से द्रोह छोड़ मेरी शरण में आ जाओ. कामासुर ने क्रोधित होकर प्रहार किया, लेकिन भगवान विकट के तेज से वह मूर्च्छित हो गया. उसके शरीर की सारी शक्ति जाती रही. उसने सोचा कि बिना शस्त्र के मेरी ऐसी दुर्दशा कर दी है, जब शस्त्र उठाया तो क्या होगा? अंत में वह भगवान विकट की शरण में आ गया. मयूरेश ने उसे क्षमा कर दिया. सर्वत्र भगवान विकट की जयकार होने लगी.

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