Janmashtami 2022: अगस्त में कब है जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि
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Janmashtami 2022: अगस्त में कब है जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि

Janmashtami 2022 Date:  हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस दिन विधि-विधान से श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना का विधान है. 

 

फाइल फोटो

Janmashtami 2022 Puja Vidhi: हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है. इस बार जन्माष्टमी 18 अगस्त, गुरुवार के दिन पड़ रही है. बता दें कि श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी के साथ रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस बार जन्माष्टमी पर वृद्धि योग बन रहा है, इसे बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है. जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा का विधान है. 

देशभर में जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है. जगह-जगह धार्मिक कार्यों का आयोजन किया जाता है. घर-घर में लड्डू गोपाल को पालने में झूला झुलाया जाता है. आइए जानते हैं इस बार जन्माष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि के बारे में. 

जन्माष्टमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त

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श्री कृष्ण का जन्म दिवस देशभर में काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है. जन्माष्टमी की तैयारी काफी पहले से ही शुरू हो जाती है. इस बार जन्माष्टमी 18 अगस्त गुरुवार के दिन पड़ रही है. अष्टमी तिथि का आरंभ 18 अगस्त शाम 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 19 अगस्त रात 10 बजकर 59 मिनट तक है. ऐसे में 18 अगस्त के दिन जन्माष्टमी का व्रत किया जाएगा. 

इस दिन अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 05 मिनट से शुरू होगा और 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. वहीं, विद्धि योग 17 अगस्त दोपहर 8 बजकर 56 मिनट से शुरू होगा और 18 अगस्त रात 8 बजकर 41 मिनट पर समापन होगा. 

जन्माष्टमी के दिन राहुकाल 18 अगस्त दोपहर 2 बजकर 06 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 42 मिनट तक होगा. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करने की सलाह दी जाती है.

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जन्माष्टमी पूजन विधि-

जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन भगवान श्री कृष्ण को दूध और गंगाजल से स्नान करवाया जाता है और साथ ही नए वस्त्र पहनाए जाते हैं. इसके बाद उन्हें मोरपंख, बांसुरी, मुकुट, चंदन, वैजंयती माला, तुलसी दल आदि से सजाया जाता है. इसके बाद उन्हें फल, फूल, मखाने, मक्खन, मिश्री का भोग, मिठाई, मेवे आदि अर्पित करें. फिर भगवान श्री कृष्ण के सम्मुख दीप-धूप जलाएं. आखिर में श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की आरती उतारें और प्रसाद सभी में बांटे. साथ ही, पूजन के दौरान हुई भूल चूक की क्षमा मांगें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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