Chhath Puja 2022: आज 28 अक्टूबर को नहाय खाय से आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो गई है. भगवान सूर्य और छठी माता को समर्पित महापर्व छठ हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. आइये जानते हैं आज के दिन का खास महत्व.
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Chhath Puja 2022 Day 1: आस्था और विश्वास का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत आज से हो गई है. इस चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस कठिन पर्व में व्रती को लगभग 36 घंटे तक निर्जल व्रत रखना होता है. आपको बता दें कि हिंदू पंचांग के मुताबिक,हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का दिन नहाय-खाय का होता है.
किसकी होती है पूजा?
छठ पूजा में षष्ठी मैया और सूर्यदेव की पूजा होती है, इसलिए इसे 'सूर्य षष्ठी' के नाम से भी जाना जाना जाता है. इस पर्व को संतान, सुख और समृद्धि के लिए रखा जाता है. कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रत का पारण यानि समापन किया जाता है. आइए जानते हैं नहाय-खाय का महत्व.
छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय
नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस दिन व्रती नदी में स्नान करते हैं और दिन में सिर्फ एक ही बार खाना खाते हैं. नहाय-खाय वाले दिन महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैं और इस दिन हर घर में लौकी या कद्दू की सब्जी बनती है. नहाय खाय के दिन बने प्रसाद में लहसुन-प्याज वर्जित है. इस दिन छठ व्रती के प्रसाद ग्रहण के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद को ग्रहण करते हैं.
छठ पूजा नहाय-खाय के नियम (Chhath Puja Nahaye Khaye Niyam)
- छठ पूजा के पहले दिन यानी नहाय-खाय के दिन व्रती सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्यदेव की पूजा करते हैं और फिर उसके बाद खाना खाते हैं.
- इस दिन व्रती लोग नए पड़े पहनते हैं और खास लौकी की सब्जी,अरहर की दाल और भात बनाते हैं.
नहाय-खाय के दिन न करें ये काम
- नहाय-खाय के दिन सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए.
- नहाय-खाय के दिन घर में गंदगी न रखें.
- नहाय-खाय के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
- इस दिन नारंगी सिंदूर लगाया जाता है और प्रसाद बनाया जाता है.
- छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है.
- इस दिन छठी मैया और सूर्य भगवान को भोग लगाने के बाद इस प्रसाद को सबसे पहले व्रती की ओर से खाया जाता है.
- छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य को दूध और जल अर्पित करना चाहिए.