Chaitra Navratri: मां योगमाया की मदद से भगवान विष्णु ने किया मधु-कैटभ का वध, इस तरह हुई थीं प्रकट
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Chaitra Navratri: मां योगमाया की मदद से भगवान विष्णु ने किया मधु-कैटभ का वध, इस तरह हुई थीं प्रकट

Goddess Mahamaya: संसार को निरंतर गति देने वाली शक्ति भगवती महामाया हैं. उनकी ही योगनिद्रा में भगवान विष्णु चले जाते हैं. उनके ही प्रभाव में समस्त जीव जगत मोह में पड़ा होता है. जानें क्यों ब्रह्मा जी के आह्वान पर विष्णु जी की निद्रा से प्रकट हुई थीं योगमाया.

CHAITRA NAVRATRI 2023

Chaitra Navratri 2023: प्राचीन काल में चैत्र वंश के सुरथ नाम के महापराक्रमी राजा थे, जिनका समस्त भूमंडल पर अधिकार था. उसी समय में कोला क्षत्रियों ने उनसे युद्ध कर परास्त कर अधिकांश राज्य छीन लिया. राजा के कमजोर होते ही उनके मंत्रियों ने दुरभि संधि कर खजाना हथिया लिया तो राजा शिकार खेलने के नाम पर राज भवन से निकल कर घने जंगल में पहुंच गए और मेधा मुनि के आश्रम में रहने लगे. एक दिन आश्रम के निकट एक व्यापारी मिला तो उसने राजा को बताया कि उसकी धन-संपदा अपनों ने ही छीन ली. एक-दूसरे का दुख जानने के बाद मेधा मुनि के पास पहुंचे और अपने धन-संपदा ऐश्वर्य के चले जाने का दुख बताया तो उन्होंने विषय और ज्ञान के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए महामाया के प्रकट होने की कथा सुनाई. 

एक बार भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर योग निद्रा में थे, तभी उनके कान के मैल से मधु और कैटभ नाम के दो असुर पैदा हुए और ब्रह्मा जी का वध करने के लिए बढ़े. ब्रह्मा जी दोनों को देखकर भयभीत हुए और विष्णु जी को जगाने के लिए भगवती योग निद्रा की स्तुति करने लगे. स्तुति करते हुए उन्होनें कहा कि आप सर्वशक्तिमान हैं. आप इन दोनों असुरों को मोह में डालकर जगदीश्वर विष्णु जी को जगाएं और उनके भीतर इन दोनों असुरों को मारने की बुद्धि पैदा करें.

इतना आह्वान करते ही योगनिद्रा प्रकट हो गईं तो श्री हरि जागे और देखा कि दोनों असुर ब्रह्मा जी को बस खा ही जाने वाले हैं तो श्री हरि ने उठकर दोनों के साथ पांच सालों तक बाहु युद्ध किया. वे दोनों भी अत्यंत बल के नशे में चूर हो रहे थे और ब्रह्मा जी के आह्वान से प्रकट हुईं महामाया देवी ने भी उन दोनों को मोह में डाल रखा था.  

फिर दोनों भगवान विष्णु से बोले, हम तुम्हारी वीरता से संतुष्ट हैं, हमसे कोई वर मांगों. इस पर श्री हरि ने कहा तुम दोनों मुझ पर प्रसन्न हो तो अब मेरे हाथों से ही मर जाओ. चारों तरफ जल ही जल देखकर बोले, जहां पर पृथ्वी जल में डूबी न हो, जहां सूखा स्थान हो वहां पर हमारा वध करो. इतना सुनते ही शंख चक्र और गदा धारण करने वाले भगवान ने उन दोनों के मस्तक अपनी जांघ पर रखकर चक्र से काट दिया. 

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