Chaitra Navratri 2023: दैत्यराज शुंभ ने मां भगवती के सामने रखा प्रस्ताव, जानिए देवी ने फिर क्या रखी शर्त
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Chaitra Navratri 2023: दैत्यराज शुंभ ने मां भगवती के सामने रखा प्रस्ताव, जानिए देवी ने फिर क्या रखी शर्त

Chaitra Navratri: शुंभ और निशुंभ नाम के असुरों ने अपने बल से इंद्र समेत सभी देवताओं को परास्त कर दिया. दोनों महाबली असुरों से परेशान होने पर देवताओं को महिषासुर का वध करने वाली देवी की याद आई और वे हिमालय पर्वत पर जाकर उनकी स्तुति करने लगे.

नवरात्रि 2023

Maa Bhagwati: प्राचीन काल में शुंभ और निशुंभ नाम के असुरों ने अपने बल से इंद्र के हाथों से तीनों लोकों का राज्य छीनकर सूर्य, चंद्रमा, कुबेर, यम और वरुण आदि के अधिकारों को छीनकर वायु और अग्नि का कार्य भी शुरू कर दिया था. इन दोनों महाबली असुरों से परेशान होने पर देवताओं को महिषासुर का वध करने वाली देवी की याद आई, जिन्होंने फिर मुश्किल आने पर याद करने को कहा था. देवता हिमालय पर्वत पर जाकर उनकी स्तुति करने लगे. 

देवताओं ने मां जगदंबा का कई तरह से आह्वान और बार-बार नमस्कार करते हुए कहा कि हम सब देवता दैत्यों के सताए हुए हैं. आप हमारा संकट दूर करें. देवताओं के प्रार्थना करने के समय देवी पार्वती भी वहां पहुंच गई. दुर्गा सप्तशती के पंचम अध्याय के अनुसार, उन्होंने देवताओं से पूछा कि आप किसकी स्तुति कर रहे हैं, वह पूछ ही रही थीं कि उनके शरीर से प्रकट हुईं शिवादेवी बोली- शुंभ, निशुंभ दैत्यों से दुखी यह लोग मुझ से ही मिलने आए हैं. पार्वती जी के शरीर कोष से उत्पन्न होने वाली अंबिका को कौशिकी भी कहा जाता है. प्रकट होते ही पार्वती देवी का रंग काला हो गया, इसलिए हिमालय में रहने वाली कालिका देवी के रूप में भी विख्यात हुईं. 

कुछ समय के बाद ही शुंभ-निशुंभ के दूत चंड और मुंड ने सुंदर आकर्षक अंबिका देवी को देखा तो शुंभ के पास जाकर उनकी तारीफ करते हुए कहा कि आप उनसे विवाह कर लीजिए. वह तो स्त्रियों में रत्न हैं. अत्यधिक प्रशंसा सुन शुंभ ने महादैत्य सुग्रीव को अपना दूत बनाकर देवी के पास भेजा. देवी के पास पहुंचकर दूत ने दैत्यों के राजा शुंभ की तारीफ करते हुए कहा कि वह त्रिलोकी विजेता हैं. उन्होंने आपको पत्नी बनाने की इच्छा व्यक्त की है. इस पर देवी मन ही मुस्कुरा कर बोलीं, तुम्हारी सभी बातें सच हैं, किंतु मैने भी प्रतिज्ञा कर रखी है कि जो वीर मुझे युद्ध में पराजित करेगा, मैं उसी को स्वामी के रूप में स्वीकार करूंगी, इसलिए तुम यहां से जाकर दैत्य राज को मेरी शर्त सुना देना, फिर जो उचित लगे वह करना.  

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