Navratri 2023: नवरात्रि में मां आदिशक्ति के 9 स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. देवी पुराण के अनुसार, मां भगवती की पूजा-अर्चना करने के लिए सबसे पहले कलश या घट की स्थापना की जाती है.
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चैत्र नवरात्रि 2023: 22 मार्च 2023 बुधवार से नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है. इस महापर्व में मां भगवती के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. यह क्रम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रातःकाल शुरू होता है, इसलिए मां भगवती का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए. देवी पुराण के अनुसार, मां भगवती की पूजा-अर्चना करने के लिए सबसे पहले कलश या घट की स्थापना की जाती है. घट स्थापना का अर्थ है कि नवरात्रि के नौ दिनों के लिए ब्रह्मांड में सक्रिय शक्ति तत्व का घट में आवाहन कर उसे जाग्रत करना.
जहां पर शक्ति का आवाहन कर घट स्थापना की जाती है, वास्तु शास्त्र के अनुसार, वहां पर निगेटिव एनर्जी या तरंगें नष्ट हो जाती हैं. धर्म शास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है. कलश के मुख में विष्णु जी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा जी को स्थित माना गया है. कलश के मध्य में दैवीय मातृ शक्तियां निवास करती हैं.
सामग्री
सबसे पहले मिट्टी का छेद रहित ढक्कन सहित कलश ले आएं. इसके साथ ही जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र और शुद्ध साफ की हुई मिट्टी, बोने के लिए जौ, कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल, मौली या कलावा, इत्र, साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, कलश के ढक्कन पर रखने के लिए बिना टूटे चावल, पानी वाला नारियल, नारियल को लपेटने के लिए लाल कपड़ा, फूल व माला.
कलश स्थापना
सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें. इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाए, उस परत पर जौ बिछा दें और ऊसके ऊपर फिर से मिट्टी की एक परत बिछाएं. अब कलश के कंठ पर मौली बांध दें. कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें. अब कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें और साबुत सुपारी, दूर्वा तथा फूल डालें. कलश में थोडा सा इत्र और कुछ सिक्के रख दें. अब कलश के मुख पर अशोक या आम के पांच पत्ते रखकर मुख ढक्कन से बंद कर दें. ढक्कन में चावल भर दें. नारियल को लाल कपड़े से लपेट कर मौली भी लगा दें. नारियल को कलश के ढक्कन पर इस तरह रखें कि उसका मुंह पूजन करने वाले साधक की तरफ रहे. अब कलश को जौ के पात्र में बीचों-बीच रखकर समस्त देवी देवताओं का आह्वान करते हुए उनसे नौ दिनों तक इसमें रहने का आग्रह करें. कलश का पूजन कर दीप जलाएं और धूपबत्ती दिखाएं. माला व फल मिठाई आदि अर्पित करें.