Bhishma Pratigya: महाभारत में पांडु का विवाह कुंती से हुआ था. लेकिन बाद में देवव्रत भीष्म को विचार आया कि पांडु का एक और विवाह कराया जाए. इसके बाद भीष्म ने महाराज शल्य के बहन माद्री से पांडु का दूसरा विवाह कराया.
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Bhishma Pledge: धृतराष्ट्र और पांडु के विवाह क्रमशः गांधारी और कुंती से कराने के बाद देवव्रत भीष्म को विचार आया कि पांडु का एक और विवाह कराया जाए. पांडु के दूसरे विवाह के बारे में निश्चय करने के बाद भीष्म मंत्री, ब्राह्मणों, ऋषि, मुनि और चतुरंगिणी सेना लेकर मद्रराज की राजधानी पहुंचे और महाराज शल्य के सामने पांडु के विवाह का प्रस्ताव भेजा. शल्य ने प्रसन्न चित्त होकर अपनी बहन माद्री उन्हें सौंप दी. पांडु के साथ माद्री का विवाह हो गया और वह दोनों पत्नियों के साथ आनंदपूर्वक रहने लगा.
पृथ्वी को दिग्विजय करने पांडु निकले
कुछ समय बीतने के बाद राजा पांडु ने पृथ्वी के दिग्विजय की ठानी. उन्होंने अपना प्रस्ताव भीष्म के सामने प्रस्तुत किया और उनकी अनुमति लेने के बाद गुरुजनों, बड़े भाई धृतराष्ट्र और श्रेष्ठ कुरुवंशियों को प्रणाम करके आज्ञा ली और अपनी चतुरंगिणी सेना लेकर यात्रा आरंभ की.
परास्त राजाओं ने पांडु को पृथ्वी का सम्राट स्वीकार किया
पांडु ने अपनी चतुरंगिणी सेना के साथ सबसे पहले दशार्ण नरेश पर चढ़ाई की और उसे युद्ध में जीत लिया. इसके बाद प्रसिद्ध मगधराज को राजगृह में घुस कर मार दिया. वहां से बहुत सारा खजाना और वाहन आदि लेकर विदेह राज्य पर हमला बोल दिया. वहां के राजा को परास्त करने के बाद काशी, शुम्भ, पुंड्र आदि राज्यों में अपनी विजय पताका फहरा दी. अनेकों राजाओं ने पांडु को चुनौती दी तो उन्हें बुरी तरह परास्त कर नष्ट कर दिया. सबने पराजित हो कर पांडु को पृथ्वी का सम्राट स्वीकार कर लिया. इन राजाओं ने मणि, माणिक्य, मुक्ता, प्रवाल, सोना, चांदी, गाय, घोड़े, रथ आदि भेंट में दिए.
दिग्विजयी पांडु को भीष्म ने गले से लगा लिया
दिग्विजय प्राप्त करने के साथ ही पृथ्वी के सम्राट के पद पर सुशोभित होकर जब पांडु अपने हस्तिनापुर सकुशल लौटे तो महात्मा भीष्म ने उन्हें गले से लगा लिया और प्रेम में उनकी आंखों से आनंद के आंसू निकल आए. पांडु ने सारा धन आदि भीष्म और अपनी दादी सत्यवती को समर्पित किया तो उनके आनंद की सीमा न रही.
भीष्म ने कराया विदुर जी का भी विवाह
भीष्म ने सुना कि राजा देवक के यहां एक सुंदरी युवती दासी पुत्री है. उन्होंने उसे मांग कर विदुर जी का विवाह भी करा दिया. उसके गर्भ से विदुर के समान ही कई गुणवान पुत्र उत्पन्न हुए.
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