Trending Photos
Bel Patra use in Shiv Puja: भगवान शिव की पूजा में जल और बेलपत्र का बहुत महत्व होता है. बिना बेलपत्र के शिवजी की पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती है. बेल के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र या बिल्वपत्र कहा जाता है. इसमें तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं जिसे एक बेलपत्र माना जाता है. बेलपत्र के दैवीय प्रयोग तो होते ही हैं इसके औषधीय प्रयोग भी होते हैं. इस लेख में आप बेलपत्र के अद्भुत प्रयोगों के बारे में पढ़ेंगे किंतु सबसे पहले यह जान लें बेलपत्र का चुनाव कैसे किया जाता है. साथ ही इनकी महिमा क्या है और इन्हें क्यों इतना महत्वपूर्ण माना गया है.
भगवान शंकर के पूजन के लिए हमेशा बेलपत्र की तीन पत्तियों के गुच्छ को ही चुना जाता है. यदि किसी कारण से उस गुच्छ में दो ही पत्तियां हैं या फिर एक में छेद है अथवा आंशिक रूप से टूट गई है तो फिर उसे नहीं चढ़ाया जाता है. जब भी भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें, इसे चिकनी तरफ से ही चढ़ाएं. एक ही बेलपत्र को जल से धो करके बार-बार भी चढ़ा सकते हैं और बिना जल के बेलपत्र कभी भी अर्पित नहीं करना चाहिए. जब भी बेलपत्र अर्पित करें, साथ में जल की धारा जरुर चढ़ाएं.
यदि किसी के विवाह में काफी विलंब हो रहा है तो 108 बेलपत्र लें और हर बेलपत्र पर चंदन से राम लिखें तथा ऊं नमः शिवाय कहते हुए शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं. यदि अपने विवाह के लिए पूजन कर रहे हैं तो नमः शिवाय मंत्र बोलते हुए बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं. सारे बेलपत्र अर्पित करने के बाद शीघ्र विवाह के लिए भोलेशंकर से प्रार्थना करें. यह प्रयोग सावन के किसी भी एक सोमवार को या फिर सावन की शिवरात्रि या प्रदोष को करें तो विशेष शुभ रहेगा.
अगर स्वास्थ्य संबंधी कोई गंभीर समस्या है तो सावन में किसी भी दिन 108 बेलपत्र और एक कटोरी में चंदन की सुगंध, चंदन का इत्र या चंदन घिस कर रख लें. फिर एक-एक बेलपत्र उसमें डुबो कर शिवलिंग पर अर्पित करते जाएं और ओम हौं जूं सः मंत्र बोलते जाएं. अंत में भगवान शिव से स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करें तो निश्चित रूप से लाभ होगा.
तमाम प्रयास करने के बावजूद संतान नहीं हो रही है तो उतने बेलपत्र ले लें जितनी आपकी उम्र है और एक कटोरी में जरा सा दूध रख लें. एक-एक बेलपत्र को उसमें डुबोते जाएं और शिवलिंग पर अर्पित करते हुए ओम नमो भगवते महादेवाय मंत्र का जाप करते जाएं. बाद में कटोरी में बचे हुए दूध और उसके बाद शिवलिंग पर जल अर्पित करें. आखिर में संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें यह प्रयोग सावन में किसी भी दिन कर सकते हैं.
बेलपत्र के छोटे-छोटे आयुर्वेदिक प्रयोग भी किए जाते हैं. आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए बेल के पत्तों का रस आंखों में डालने से राहत मिलतीहै. यदि कफ की समस्या है तो बेल के पत्ते का काढ़ा शहद में मिलाकर पीना उत्तम होता है. बेलपत्र के 11 पत्तों का रस निकाल कर के सुबह सुबह पीने से कितना भी पुराना सिर दर्द क्यों न हो, ठीक हो जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर