Spinal Muscular Atrophy Treatment: इंसान को जीवन में कई तरह की बीमारियों से गुजरना पड़ता है. कुछ बीमारियों जन्म के साथ ही होती हैं. इनमें से कुछ को आसानी से क्योर किया जा सकता है और अधिक खर्चा भी नहीं करना पड़ता है. वहीं, कुछ बीमारियां दुर्लभ होती हैं और जरूरी नहीं कि ये इलाज से ठीक हो जाएं और इन पर होने वाला खर्च भी करोड़ों रुपये में है. ऐसी ही एक बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) है. इस बीमारी में बच्चा बिना सिर को सहारा दिए बैठ नहीं सकता है.
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) एक आनुवंशिक बीमारी है. यह बीमारी ब्रेन की नर्व सेल्स और रीढ़ की हड्डी (मोटर न्यूरॉन्स) को नुकसान पहुंचाती है. मोटर न्यूरॉन्स हाथ, पैर, छाती, गले, चेहरे और जीभ के साथ-साथ मांसपेशियों की गतिविधियों को कंट्रोल करने का काम करते हैं.
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के कई प्रकार होते हैं. इसमें टाइप-1 सबसे गंभीर होती है. इसमें बच्चा अपने सिर को सहारा दिए बिना बैठ नहीं सकता है. यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है और समय पर इलाज न मिलने की वजह से मरीज की जान भी जा सकती है.
इस बीमारी के इलाज में एक खास तरह के इंजेक्शन का इस्तेमाल होता है. इस एक इंजेक्शन की कीमत करीब 17 करोड़ रुपये है. SMA से पीड़ित बच्चों को 2 साल की उम्र से पहले यह इंजेक्शन लगाना जरूरी होता है.
इस खास इंजेक्शन 'जोलगेंस्मा' है. इस बीमारी का नया मामला हैदराबाद में देखने को मिला है, जिसमें 15 महीने के बच्चे को इस इंजेक्शन की जरूरत है. इस खास इंजेक्शन को भारत में अब तक 90 बच्चों को दिया जा चुका है.
दुनिया भर में हर 10 हजार में 1 बच्चा SMA के साथ जन्म ले रहा है. इस इंजेक्शनके लगने के बाद 2 साल से छोटे बच्चों की मोटर न्यूरॉन कोशिकाओं में एसएमएन जीन की नकल पहुंचती है. इससे मांसपेशियां नियंत्रण में आती है. इसे केवल एक बार 1 घंटे के लिए दिया जाता है.
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