World Longest and Biggest Traffic Jam: अगर आप आधे-एक घंटे सड़क पर ट्रैफिक जाम में फंस जाते है तो लगता है मानो पूरा दिन खराब हो गया है. लगता है जैसे शरीर की पूरी एनर्जी सूख गई हो, लेकिन जरा सोच कर देखिए अगर ट्रैफिक जाम 8 साल तक चला हो तो ? आप अगर इसे मजाक या फेक समझ रहे हैं तो ऐसी गलती न करें.
Biggest Traffic Jam end after 8 Years: अगर आप आधे-एक घंटे सड़क पर ट्रैफिक जाम में फंस जाते है तो लगता है मानो पूरा दिन खराब हो गया है. लगता है जैसे शरीर की पूरी एनर्जी सूख गई हो, लेकिन जरा सोच कर देखिए अगर ट्रैफिक जाम 8 साल तक चला हो तो ? आप अगर इसे मजाक या फेक समझ रहे हैं तो ऐसी गलती न करें. इतिहास का ये सबसे लंबा जाम 8 सालों तक चला था.हालांकि ये जाम सड़क पर नहीं बल्कि पानी में लगा था.
दुनिया का सबसे लंबा ट्रैफिक जाम का रिकॉर्ड मिस्र (Egypt) के स्वेज नहर( Suez Canal) के नाम पर है. ये जाम एक -दो दिन या महीने नहीं बल्कि 8 साल तक चला था. इसे इतिहास का सबसे घटिया और सबसे लंबा जाम कहा जाता है. इस जाम की वजह से कई देशो की इकोनॉमी हिल गई थी. अरबों रुपये के ट्रेड का नुकसान हो रहा था. साल 1967 में यहां ऐसा जाम लगा जो 8 साल बाद जाकर साल 1975 में खुला.
इस जाम के पीछे किसी जहाज का खराब होना या फिर टेढ़ा होकर फंसना नहीं था, बल्कि दोनों ओर से हो रही बमबारी थी. दरअसल स्वेज नहर मिस्र का हिस्सा है. उसकी उत्तर-पूर्व सीमा इजरायल के साथ लगती है. स्वेज नहर के बाद का बड़ा हिस्सा सिनाई प्रायद्वीप पर इजरायल की निगाहें रही है. इसी जगह के लिए इजरायल ने साल 1967 में अचानक मिस्र पर हमला कर दिया. 6 दिनों तक युद्ध चला और सिनाई पर इजरायल ने कब्जा जमा लिया. जिस दिन ये हमला हुआ उसी दिन 15 मालवाहक जहाजों भूमध्य सागर से स्वेज नहर से होते हुए लाल सागर की ओर जा रहे थे. इसमें 12 घंटे का वक्त लगता था, लेकिन इजरायल के हमले और सिनाई पर कब्जे की वजह से वो जहाज वहीं स्वेज नहर में फंस गए.
हमले के बाद मिस्र ने स्वेज नहर को दोनों ओर से बंद कर दिया. स्वेज नजर जो व्यापार का मुख्य रास्ता हुआ करता था, उसे बंद करने के लिए दोनों ही सीमाओं यानी एंट्री और एग्जिट पर दोनों और जहाज डुबाए गए , नहर में विस्फोटक बिछा दिए गए. जो जहाज स्वेद नहर के बीच थे, वो वहीं फंसे रह गए. 12 घंटे का ये सफर 8 साल का हो गया.
इस जाम में जिस देशों को जहाज फंसे थे, उसमें बुल्गेरिया, चेक गणराज्य, फ्रांस, पोलैंड, स्वीडन, वेस्ट जर्मनी, यूके और अमेरिका के थे. जहाज पर फंसे लोगों का इंतजार खत्म नहीं हो रहा था. तीन महीने बाद उन्हें वापस अपने देश बुला लिया गया, लेकिन जहाज पर फंसे सामानों की सुरक्षा के लिए वहां अलग से स्टाफ नियुक्त की गई, जिसे समय-समय पर बदला जाता था. क्रू स्टाफ ने वहां अपना एसोसिएशन बना लिया. जिसे ग्रेट बिटर लेक एसोसिएशन कहा गया. उनके लिए टीवी से लेकर गेम के इंतजाम किए गए. वो किसी जहाज पर टीवी देखते तो किसी पर गेम खेलते. इस तरह 8 साल तक उन्होंने उस जगह जिंदगी काटी.
साल 1973 में एक बार फिर युद्ध शुरू हुआ. मिस्त्र ने इजरायल पर हमला कर सिनाई पर वापस कब्जा कर लिया. युद्ध खत्म होने के बाद स्वेज नहर को फिर से शुरू किया गया, लेकिन नहर में बिछे विस्फोटकों की वजह से वहां से जहाजों को निकालने में करीब 2 साल का समय लग गया और आखिरकार 1978 को ही 14 जहाज वहां से निकल पाए. इस जाम का जिक्र केथ सेंकर की किताब स्ट्रेंडेड इन द सिक्स-डे वॉर (Stranded in the Six-Day War) में है
साल 2021 में स्वेज नहर में 400 मीटर लंबा जहाज 'एवर गिवन' फंस गया था, जिसकी वजह से यह रूट 7 दिनों तक बंद रहा. उस जाम की वजह से दुनियाभर के कुल व्यापार का 10 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित हुआ है. मिस्र को सिर्फ 7 दिनों में 700 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ. इस ट्रैफिक जाम की वजह से दुनियाभर के देशों को हर घंटे करीह 400 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई. अब जरा अंदाजा लगाइए कि अगर 7 दिन इस नहर के बंद रहने से हर घंटे दुनिया को 3000 करोड़ का नुकसान हो रहा था तो 8 साल तक बंद रहने पर क्या हुआ होगा.
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