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तैयार है जन्नत वाला ब्रिज...बादलों के बीच से गुजरेगी रेल, पुल की ताकत ऐसी कि भूकंप क्या बम धमाके भी इस पर फेल, दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज की तस्वीरें

World Highest  Chenab rail bridge:  देशभर के कश्मीर से जोड़ने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. जल्द ही कश्मीर  तक आप ट्रेन से पहुंच सकेंगे. इसके लिए दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल पर ट्रेनों का ट्रायल रन किया जा रहा है.

Chenab Rail Bridge

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 Chenab Rail Bridge

Chenab Rail Bridge : देशभर के कश्मीर से जोड़ने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. जल्द ही कश्मीर  तक आप ट्रेन से पहुंच सकेंगे. इसके लिए दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल पर ट्रेनों का ट्रायल रन किया जा रहा है. हिमालय और बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच से दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल पर पहली बार ट्रेन दौड़ी. कटरा बनिहाल रेलखंड पर बीते शनिवार को पहली बार ट्रेन का सफल ट्रायल रन पूरा हुआ.  इसके साथ ही दिल्‍ली से श्रीनगर यानी कश्‍मीर तक ट्रेन से जाने का रास्‍ता लगभग तैयार हो चुका है. इस रेल ट्रैक की सबसे खास बात चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज है.  

बादलों के बीच से गुजरेगी ट्रेन

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 बादलों के बीच से गुजरेगी ट्रेन

 

कश्मीर को जोड़ने वाली चिनाब ब्रिज पेरिस के एफिल टावर से भी ऊंचा है. जहां एफिल टॉवर की ऊंचाई 330 मीटर है तो वहीं चिनाब ब्रिज की ऊंचाई 359 मीटर है. जब ट्रेनें इस ब्रिज से होकर गुजरेगी तो आपको अहसास होगा कि आप बादलों के बीच से गुजर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में बने दुनिया का सबसे ऊंचे रेल ब्रिज पर सफर का रोमांच अपने आप में अद्भुत होगा.  

चिनाब ब्रिज में क्या है खास

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 चिनाब ब्रिज में क्या है खास

 

 उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट के तहत बना यह ब्रिज इंजीनियरिंग का अनूठा नमूना है. दुनिया का सबसे ऊंचा सिंगल आर्क रेल ब्रिज कश्‍मीर को शेष भारत से जोड़ेगा. 

पहली बार हो रहा है ऐसा

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 पहली बार हो रहा है ऐसा

 

भारतीय रेल के इतिहास में पहली बार होगा जब कश्‍मीर घाटी को रेल मार्ग से जोड़ा जाएगा. चिनाब ब्रिज भले ही इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना हो, लेकिन इसे बनाना भी उतना ही मुश्किल था. 

22 साल का वक्त

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 22 साल का वक्त

 

चिनाब नदी पर बने इस रेलवे ब्रिज को तैयार करने में करीब 22 साल का समय लगा है. रेलवे ने इस पुल का निर्माण साल 2003 में शुरू किया था, करीब 22 साल बाद 2025 में पूरी तरह तैयार होने जा रहा है.  जम्‍मू से कश्‍मीर तक बन रहे 271 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर बना यह ब्रिज 1315 मीटर लंबा है

किसी भी मौसम में फिट

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 किसी भी मौसम में फिट

 

इस ब्रिज को स्ट्रक्चरल स्टील से बनाया गया है, जिसकी वजह से यह माइनस 10 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेलने में सक्षम होगा. इस ब्रिज पर रेल यातायात शुरू हो जाने के बाद किसी भी मौसम में आसानी से कश्मीर घाटी पहुंचा जा सकेगा.  

17 पिलर्स पर खड़ा ब्रिज

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 17 पिलर्स पर खड़ा ब्रिज

 

यह ब्रिज 17 पिलर्स पर खड़ा है.  266 किलोमीटर प्रति घंटे की स्‍पीड से हवाएं चलती हैं, जो पुल के निर्माण में बार-बार बाधा बन रही थी. 25000 मीट्रिक टन स्टील के इस्तेमाल से बना ब्रिज आंधी तूफान को झेलने में सक्षम 

भूकंप और बम का भी असर नहीं

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 भूकंप और बम का भी असर नहीं

 

ब्रिज पहला ब्लास्ट लोड डिजाइन पर बना है. यह ब्रिज 40 किलो तक विस्फोटक और रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता तक का भूकंप भी झेल सकता है. इस ब्रिज को अगले 120 साल के लिए बनाया गया है. यह ब्रिज 220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली आंधी का भी सामना कर सकती है. ताकतवर बम धमाके से भी इस ब्रिज का कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे. अगर कोई पिलर टूट भी गया तो भी इस ब्रिज से ट्रेन बिना किसी नुकसान के आराम से गुजर जाएगी.  

कितना आया खर्च

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 कितना आया खर्च

 इस  ब्रिज को बनाने का खर्च 14,000 करोड़ रुपये है, जो  35,000 करोड़ रुपये के उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (यूएसबीआरएल) प्रोजेक्ट का हिस्सा है.

 

कश्मीर के लोगों को फायदा

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 कश्मीर के लोगों को फायदा

 

इस ब्रिज से रेल यातायात शुरू होने के बाद कश्मीर के लोगों को बहुत फायदा होने वाला है. कश्मीर के लोग देश के बाकी हिस्सों से ट्रेन के जरिए जुड़ सकेंगे.  कश्‍मीर के किसान अपनी फसलों को किसी भी मौसम में कुछ ही घंटों में देश के बाकी हिस्सों में पहुंचा सकेंगे. व्यापार बढ़ेगा तो आमदनी बढ़ेगी.  इस ट्रैक पर ट्रेनों के दौड़ने से कश्मीर की चीजें आसानी से देश के अन्‍य हिस्‍सों में पहुंच सकेगा. जिसका फायदा कश्मीर के लोगों को अपनी आमदनी बढ़ेगा में मिलेगा.  

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