Why Magnesium Is Essential For Women's Health: मैग्नीशियम वैसे तो सभी के लिए अहम पोषक तत्व है, लेकिन ये महिलाओं के लिए खास तौर से फायदेमंद साबित होता है. पालक, केला, बादाम, काजू, सीड्स और टोफू जैसे फूड्स में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है. आजकल के दौर में कई महिलाओं को ऑफिस के साथ-साथ घर की भी जिम्मेदारियां उठानी पड़ती है जिसके कारण उन्हें कई बार पोषण की कमी, कमजोरी, थकान या अन्य बीमारियों का सामना करना पड़ता है. तो आइए जानते हैं कि मैग्नीशियम बेस्ड फूड खाने से महिलाओं को क्या-क्या फायदे हो सकते हैं.
मैग्नीशियम की मदद से पीरियड के दर्द (Menstrual Pain) को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है. ये गर्भाशय की मांसपेशियों को राहत देकर और प्रोस्टाग्लैंडिंस (Prostaglandins) के उत्पादन को कम करके काम करता है, ये वो कंपाउंड है जो पीरियड क्रैंप्स को बढ़ाने का काम करता है.
मैग्नीशियम रिलैक्सेशन को बढ़ावा देता है और स्लीप-वेकअप साइकिल को रेग्युलेट करने में मदद करता है. ये मेलाटोनिन (Melatonin) के उत्पादन में एक अहम भूमिका निभाता है, ये वो हार्मोन जो हमारे स्लीप पैटर्न को कंट्रोल करता है. मैग्नीशियम के ऑप्टिमम लेवल को सुनिश्चित करके, आप मेलाटोनिन के प्रोडक्शन को सपोर्ट कर सकते हैं, जो स्लीप क्वालिटी में सुधार कर सकता है और आपको एक आरामदायक नींद हासिल करने में मदद कर सकता है.
मैग्नीशियम विटामिन डी को अपने एक्टिव फॉर्म में बदलने के लिए जरूरी है. ये बदले में, कैल्शियम के एब्जॉर्ब्शन और मेटाबॉलिज्म, साथ ही सामान्य पैराथायरायड हार्मोन फ़ंक्शन (Parathyroid Hormone Function) को सपोर्ट करता है. महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों के फ्रैक्चर का ज्यादा खतरा होता है, खासकर मेनोपॉज (Menopause) के बाद इसलिए मैग्नीशियम रिच फूड्स जरूर खाएं.
कम मैग्नीशियम का सेवन सूजन को बढ़ा सकता है. ये पोषक तत्व ऐसी परेशानियों को कम करने में मदद करता है, जैसे कि सी-रिएक्टिव प्रोटीन (C-Reactive Protein) और इंटरल्यूकिन -6 (Interleukin-6). सूजन पर नजर रखकर, मैग्नीशियम के जरिए एजिंग के असर और पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है.
जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती हैं, तो मैग्नीशियम उनके शरीर के टिश्यूज के निर्माण और मरम्मत में मदद करता है. गर्भावस्था के दौरान इस न्यूट्रिएंट की कमी से प्री-एक्लेमप्सिया (Pre-Eclampsia), खराब फीटल ग्रोथ (Poor Fetal Growth) और यहां तक कि शिशु की मृत्यु (Infant Mortality) भी हो सकती है. 19 से 30 साल की उम्र के बीच गर्भवती महिलाओं को रोजाना 350 मिलीग्राम मैग्नीशियम लेने की कोशिश करनी चाहिए. अगर आपकी प्रेग्नेंसी के दौरान मैग्नीशियम की कमी है, तो ये फ्यूचर लाइफ में ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बन सकता है.
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