Who is Kavi Kumar Azad: कुछ सितारे ऐसे होते हैं जो जब तक रहते हैं लोगों को हंसाते रहते हैं. लेकिन उनके जाने का गम ऐसा होता है कि फैंस का दिल भी रोने लगता है. उनकी रूह उनकी मौत की खबर सुनकर कांप उठती है. आज हम आपको एक ऐसे सितारे के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका शरीर बेतरकीबी से बढ़ा. लेकिन इनके हौसले को वो तोड़ नहीं पाया. जब तक रहे लोगों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया. लेकिन जब दुनिया को अलविदा कहा तो फैंस का कलेजा निकलकर बाहर आ गया. चलिए आपको बताते हैं ये कौन हैं और कैसे एक छोटी सी लापरवाही जानलेवा साबित हुई.
ये एक्टर कोई और नहीं बल्कि कवि कुमार आजाद (Kavi Kumar Azad) हैं. अरे जनाब..ये वही कवि कुमार आजाद हैं जिन्हें प्यार से आप डॉ हाथी के नाम से जानते हैं. कवि कुमार बिहार के सासाराम स्थित गौरक्षणी के रहने वाले थे. इन्होंने सासाराम के सेंट जेवियर स्कूल से एक्टिंग की पढ़ाई की. इसके बाद कुछ दिन बाल विकास स्कूल से पढ़ाई की. लेकिन बचपन से ही मन पढ़ाई से ज्यादा एक्टिंग की ओर खिंचने लगा.
जब बात परिवार तक पहुंची तो उन्हें परिवार की तरफ से साथ नहीं मिला. बड़े होने के बाद उनका शरीर अजीब तरह से बढ़ने लगा जो उनके लिए एक वक्त बाद मुसीबत बन गया. लेकिन कवि कुमार के एक्टर बनने के इरादे इतने मजूबत थे कि बेतरकीबी से बढ़ता शरीर भी उनके मुकाम के बीच में अढ़चन नहीं बन पाया.
मन में एक्टर बनने की चाहत इतनी ज्यादा थी कि वो परिवार की बात भी नहीं मानें और मुंबई के लिए परिवार तैयार नहीं हुआ तो वो घर से भाग गए. खाली जेब लिए कवि मुंबई पहुंचे तो कई रातें फुटपाथ पर सोकर गुजारनी पड़ीं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि ना तो जेब में पैसा था और ना ही वो वहां पर किसी को जानते थे.
अपना गुजारा करने के लिए कवि कुमार आजाद ने नुक्कड़ नाटकों में काम किया. जिससे कुछ पैसे आए तो दोस्तों के साथ मिलकर शेयरिंग में मकान किराए पर लिया. धीरे-धीरे इन्हें काम मिलने लगा. इसके बाद 'घर जमाई' में बतौर गेस्ट फूड कॉम्पिटीशन के जज बनकर आए. 'जूनियर जी', 'चाचा चौधरी', 'शरारत', 'हातिम', 'हीरो', 'बेस्ट ऑफ लक निक्की' में भी दिखे.
टीवी शोज के साथ-साथ कवि कुमार आजाद ने फिल्मों में भी हाथ आजमाया जिसमें वो छोटे-मोटे रोल करते दिखे. इन फिल्मों में 'फंटूश' और 'क्योंकि' शामिल है. हालांकि उन्हें पहचान टीवी शो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' सीरियल से मिली.
एक दिन इनके पास प्रोडक्शन हाउस से फोन आया और मिलने बुलाया. जिसके बाद इन्हें साल 2009 में डॉ हाथी का किरदार ऑफर हुआ. इस रोल ने डॉ हाथी को वो सब कुछ दिया जिसका सपना उन्होंने कभी देखा था. जहां एक ओर डॉ हाथी बनकर कवि कुमार आजाद तरक्की करते जा रहे थे, वहां उनके परिवार का बिजनेस ठप्प हो गया था.
कवि के पिता और बड़े भाई सासाराम में दालमोट, नमकीन और बेकरी का कारोबार करते थे. लेकिन बिजनेस के ठप्प पड़ने के बाद कवि कुमार ने सबको मुंबई बुला लिया. अब मीरा रोड में एक दुकान उनका परिवार ही चलाता है. इसके साथ ही मुंबई में उनके दो फूड आउटलेट्स भी हैं.
कवि कुमार आजाद का वजन 254 किलो था. इस वजन की वजह से उन्हें चलने फिरने में दिक्कत होती थी. जिसके बाद उन्होंने साल 2010 में बैरियाट्रिक सर्जरी करवाकर अपना वजन 80 किलो कम करवाया. इसके बाद वो आम जिंदगी जीने लगे. इसके बाद उन्हें दोबारा सर्जरी की सलाह दी गई.यहां तक कि डॉक्टर ने भी कहा कि वो वजन कम ना करके अपनी लाइफ को खतरे में डाल रहे हैं. हालांकि वो घबराते थे कि वजन कम होने की वजह से उनका शो हाथ से ना निकल जाए.
लेकिन उन्होंने कुछ वक्त बाद उनका वजन 140 किलो से बढ़कर 160 किलो हो गया था. जिसके बाद आखिर में उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया और उनकी जान महज 46 साल की उम्र में चली गई. इनका निधन 9 जुलाई, 2018 को हुआ था.
ट्रेन्डिंग फोटोज़