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Gullak 4: कौन हैं 'मिश्रा परिवार' के बड़े बेटे अन्नू मिश्रा? कभी 8000 रुपये के लिए स्टेशन पर बांटते थे पैम्पलेट

Gullak 4 Annu Mishra: मिडिल क्वास फैमिली के रिश्तों के तानों बानों से बुनी 'गुल्लक' (Gullak) वेब सीरीज हर परिवार को अपने से जोड़ती है. इस सीरीज में चाहे विद्युत विभाग में काम करने वाले संतोष मिश्रा हों, किचन में काम करती मां शांति मिश्रा हों, छोटा भाई अमन हो या फिर बड़े भाई का रोल करने वाले अन्नू मिश्रा हों. इस सीरीज में हर किसी का रोल ऐसा लगता है कि मानों आपके घर के आंगन की कहानी से आपको जोड़ रहा है. तो चलिए आपको मिश्रा परिवार के सबसे बड़े बेटे अन्नू मिश्रा (Vaibhav Raj Gupta) के बारे में बताते हैं.

 

सीतापुर के रहने वाले हैं अन्नू मिश्रा

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सीतापुर के रहने वाले हैं अन्नू मिश्रा

'गुल्लक' के अब तक चार सीजन आ चुके हैं. इन चारों सीजन में मिश्रा जी के बड़े बेटे अन्नू मिश्रा तो एक दम छा गए.अन्नू का ये रोल वैभव राज गुप्ता ने प्ले किया है. ये उत्तर प्रदेश के सीतापुर के रहने वाले हैं और वहीं पर पले बड़े. 1991 में जन्मे वैभव 33 साल के हैं. 

 

किया मास कॉम

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किया मास कॉम

इन्होंने आरपीएफ डिग्री कॉलेज सीतापुर से पढ़ाई पूरी की और उसके बाद मुंबई के स्कूल ऑफ ब्रॉडकास्ट कम्युनिकेशन से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया.

मिस्टर सीतापुर चुने गए

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मिस्टर सीतापुर चुने गए

वैभव ने एक इंटरव्यू में बताया था कि साल 2007 में सीतापुर महोत्सव में वो मिस्टर सीतापुर चुने गए. इसके बाद मॉडलिंग के ऑफर मिलने लगे लेकिन काम का ज्यादा स्कोप वहां पर नहीं था.

झेला रिजेक्शन

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झेला रिजेक्शन

इनके पिता जी इन्हें मुंबई के किस्से सुनाते थे, लिहाजा ये मुंबई आगे की पढ़ाई के लिए गए. मुंबई आने के बाद इन्होंने कुछ वक्त तक कॉल सेंटर ज्वाइन किया. उस वक्त ये सोचकर खुश हो जाते थे कि अंग्रेली बोलेंगे, सैलरी अच्छी मिलेगी और एसी की हवा खाएंगे. लेकिन जब भी इंटरव्यू के लिए कही गए तो सिलेक्शन नहीं हुआ.

रेलवे स्टेशन पर किया काम

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रेलवे स्टेशन पर किया काम

मुंबई लोकल ट्रेन में सफर किया करता था. उस वक्त वैभव ने कुछ लड़कों को स्टेशन पर ग्रीनपीस नाम का एक एनजीओ पैम्पलेट बांटते देखा. इन्होंने उन लड़कों से इस कंपनी का जानकारी ली और इंटरव्यू दिया. दूसरे दिन रेलवे स्टेशन पर काम करना शुरू कर दिया. 

 

मिलते थे 8000 रुपये

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मिलते थे 8000 रुपये

वैभव ने कहा कि उनका सबसे मुश्किल जॉब था लोगों को रोक रोकर इस कंपनी के बारे में बताना. करीबन 6 महीने तक वैभव ने इसमें काम किया जिसके लिए उन्हें हर महीने 8000 रुपये मिलते थे.

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