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समंदर के 'मगरमच्छ', मौत का दूसरा नाम, भारत के सबसे बड़े सूरमा MARCOS कमांडोज की कहानी

MARCOS: सोमालिया के पास 'एमवी लीला नॉरफॉक' जहाज के हाईजैक होते ही भारतीय नौसेना एक्शन में आ गई है. हाईजैक हुए जहाज में 15 भारतीय क्रू मेंबर सवार हैं. जहाज और अपने नागरिकों बचाने के लिए इंडियन नेवी ने मौके पर अपना आईएनएस चेन्नई वॉरशिप भेजा है. मौके पर इंडियन नेवी के घातक MARCOS कमांडो भी पहुंच गए हैं. आइये जानते हैं MARCOS के बारे में सबकुछ.

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MARCOS मरीन कमांडो होते हैं. इस फौज की गिनती दुनिया की सबसे घातक स्पेशल फोर्सेज में होती है. मार्कोस कमांडो इंडियन नेवी का ही पार्ट हैं. इन्हें पानी,आसमान और जमीन सभी जगह पर अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तैयार किया जाता है.

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इनका किसी भी ऑपरेशन में शामिल होने का मतलब है, दुश्मनों का खात्मा या फिर सरेंडर. इन कमांडोज़ को दुनिया के सभी आधुनिक वीपन की ट्रेनिंग दी जाती है.

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बेहद खतरनाक स्थिति में इन्हें भेजा जाता है. मुश्किल से मुश्किल ऑपरेशन को ये तय समय में खत्म कर लेते हैं. कारगिल युद्ध में भी MARCOS ने अहम रोल अदा किया था.

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इन्हें बेहद खास तरीके से ट्रेन किया जाता है. जिसका नतीजा है कि MARCOS कमांडो समुद्र सतह से 55 मीटर नीचे बिना ऑक्सिजन सपोर्ट के कई मिनट तक ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं.

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MARCOS का गठन 1987 में हुआ था. शुरुआती दिनों में MARCOS को भारतीय समुद्री विशेष बल कहा जाता था. बाद में इसका नाम MARCOS (Marine Commandos)किया गया.

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MARCOS का मोटो है... The Few The Fearless. MARCOS ने गल्फ और अन्य समुद्री डकैती प्रभावित क्षेत्रों में कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भारतीय जहाजों और क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाला है.

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भारतीय नौसेना के MARCOS कमांडो अरब सागर में अपहृत जहाज एमवी लीला नॉरफोक में घुस चुके हैं. हाईजैक जहाज एमवी लीला नॉरफोक पर अरब सागर में भारतीय नौसेना के समुद्री गश्ती विमान, ड्रोन द्वारा नजर रखी जा रही है.

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