Planet Venus Specification: अंतरिक्ष रहस्यों से भरा हुआ है. वैज्ञानिकों के पास अभी भी अंतरिक्ष के इस अथाह समंदर की गहराइयों से खोज निकालने के लिए काफी कुछ है. हर दिन कोई ना कोई राज अंतरिक्ष की काल-कोठरी से निकल आता है. अब तक सौरमंडल के काफी ग्रहों के बारे में वैज्ञानिक पता लगा चुके हैं और कुछ ऐसे हैं कि जिन पर रिसर्च जारी है. चंद्रमा और मंगल पर जो मिशन तक भेजे गए हैं, ताकि अनसुलझे राज पता लगाया जा सके. लेकिन हमारे ही सौरमंडल में एक ग्रह है, जिसको सिल्वर प्लैनेट कहा जाता है. क्या आप उस ग्रह के बारे में जानते हैं. अगर नहीं तो चलिए हम आपको बता देते हैं.
सौरमंडल में शुक्र यानी वीनस को सिल्वर प्लैनेट कहा जाता है. वैज्ञानिक इसे मॉर्निंग और इवनिंग स्टार भी कहते हैं. सिल्वर प्लैनेट इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यह बहुत चमकदार है और आसमान में चांदी जैसा लगता है.
सौरमंडल में बुध के बाद वीनस ग्रह का नंबर आता है. यह देखने में धरती जैसा ही है. इसका वातावरण सख्त है और अधिकतर कार्बन डाइऑक्साइड से बना है.
इससे ग्रीनहाउस गैसों का निर्माण होता है, जिससे इस ग्रह की सतह काफी गर्म हो जाती है. यहां पारा 462 डिग्री सेल्सियस तक रहता है. वीनस हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है. इसे धरती की जुड़वां बहन भी कहा जाता है.
शुक्र ग्रह धरती की तुलना में बेहद ही धीमी गति से घूमता है. इसलिए यहां पर एक दिन धरती के मुकाबले काफी लंबा होता है. शुक्र ग्रह पर एक दिन धरती के 243 दिनों के बराबर होता है. शुक्र ग्रह पर कोई चंद्रमा नहीं है.
शुक्र भी धरती और अन्य अधिकांश ग्रहों की तुलना में पीछे की ओर घूमता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि एक वक्त पर वीनस पर पानी और समुद्र थे. लेकिन ग्रीनहाउस गैसों की ज्यादा सांद्रता की वजह से पानी उड़ गया और अब सतह बेहद गर्म है और यहां जीवन नहीं पनप सकता.
शुक्र ग्रह सबसे ज्यादा गर्म है. इसलिए अगर कोई ऐस्टेरॉयड इसके वातावरण में एंट्री करता है तो वह नष्ट हो जाता है. इसलिए शुक्र ग्रह की सतह पर कोई गड्ढे नहीं हैं.
शुक्र के बारे में पता लगाने के लिए सोवियन संघ ने साल 1961 से लेकर 1984 तक वेनेरा प्रोग्राम चलाया था. वेनेरा 13 ने दो से ज्यादा घंटों तक इस ग्रह की भीषण गर्मी और दबाव को झेला था.
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