Shinku La Tunnel Project: अपने 2 परमाणु शक्तिसंपन्न दुश्मनों से घिरा भारत अब उन्हें कोई वार करने का मौका नहीं देगा. भारत ने लद्दाख में एक ऐसा प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसके पूरा होने के बाद वह चीन और पाकिस्तान को जब चाहे सबक सिखा सकेगा.
पीएम मोदी ने शुक्रवार को लद्दाख में शिंकू ला टनल प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया. इस प्रोजेक्ट के तहत 4.1 किलोमीटर लंबी 2 समानांतर टनल बनाई जाएंगी. इनका निर्माण निमू-पदुम-दारचा रोड पर करीब 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा. यह हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिहाज से मील का पत्थर साबित होगा.
शिंकू ला टनल प्रोजेक्ट के 2 साल में पूरा होने की उम्मीद है. इस सुरंग के निर्माण के साथ ही दुनिया की सबसे ऊंची टनल होने का खिताब चीन की एमआई ला सुरंग से छिनकर भारत की शिंकू ला टनल के पास आ जाएगा. चीन की एमआई ला टनल 15,590 फीट ऊंची है.
शिंकू ला टनल बनने से हिमाचल से लेह आने- जाने के लिए साल के 12 महीने कनेक्टिविटी उपलब्ध हो जाएगी. इस टनल के निर्माण पर करीब 1681 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसे बनाने का जिम्मा सेना के अधीन काम करने वाले बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन को दिया गया है.
इस ट्विन टनल में हरेक 500 मीटर पर क्रॉस-पैसेज की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे इससे गुजरना सुरक्षित रहेगा. यह हिमाचल- लेह में नागरिक और सैन्य दोनों तरह की जरूरतों को पूरा करने का काम करेगी.
इस सुरंग के बनने से हिमाचल- लेह की दूरी में 100 किमी की कमी आएगी. इससे हिमाचल के जरिए आप किसी भी मौसम में लेह घूमने जा सकेंगे. यह सुरंग न केवल लेह में विकास के दरवाजे खोलेगी बल्कि वहां पर पर्यटन उद्योग को भी नए पंख लगा देगी.
शिंकू ला टनल को देश की सुरक्षा के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. इससे सियाचिन, कारगिल और एलएसी तक भारत कभी भी अपने सैनिकों और हथियारों की तैनाती कर सकेगा. दुश्मन की आर्टिलरी और हवाई फायर से बचाने के लिए सुरंग में खास इंतजाम किए जाएंगे.
भारत और चीन के बीच पिछले 4 साल से पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव बना हुआ है. दोनों देशों के 1 लाख सैनिक भारी हथियारों के साथ वहां तैनात हैं. अभी तक भारत एयर ड्रॉप के जरिए वहां सप्लाई पहुंचा रहा था लेकिन अब यह टनल बनने के बाद वह हर मौसम पर सप्लाई भेज सकेगा.
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