BRI China: दशकों की परंपरा तोड़कर भारत से पहले चीन का दौरा करने गए नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने BRI प्रोजेक्ट में सहयोग के लिए फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. पाकिस्तान के बाद अब नेपाल भी इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन से आर्थिक सहयोग की उम्मीद लगा बैठा है. जानिए क्या है BRI प्रोजेक्ट?
China BRI Countries: चीन का बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश के क्षेत्र में इतिहास के सबसे बड़े प्रोजेक्ट्स में से एक है. चीन भी इसे इसी तरह प्रोजेक्ट करता है लेकिन अमेरिका समेत कई देशों को इस बात पर यकीन नहीं है कि इसके पीछे का मकसद केवल यही है. दरअसल, चीन अपने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के जरिए वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक प्रभुत्व कायम करना चाहता है.
यह प्रोजेक्ट इतना बड़ा और प्रभावी है कि यदि यह चीन की मंशा पर खरा उतरा तो उसके एशिया में बड़ी ताकत बनने के लक्ष्य को आसानी से पूरा कर देगा. इतना ही नहीं चीन सैन्य और आर्थिक रूप से अमेरिका के दशकों के प्रभुत्व को खत्म करने की हिम्मत भी कर सकता है. वहीं पाकिस्तान, नेपाल, जैसे कई छोटे-मोटे देशों को अपने कर्ज में डुबोकर अपना उपनिवेश बना सकता है और इनकी दम पर अपने दुश्मनों के आगे ताकत बढ़ा सकता है.
चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट चीन को बाकी दुनिया से जोड़ने वाले 2 नए व्यापार मार्ग विकसित करेगा. BRI के जरिए चीन एशिया को अफ्रीका और यूरोप से जोड़ेगा. इसके लिए रेलवे, बंदरगाहों, हाइवे और पाइपलाइन के जरिए नेटवर्क तैयार होगा. इसे सिल्क रूट भी कहा जाता है.
चीन का बीआरआई प्रोजेक्ट इतना बड़ा है कि यह सितंबर 2013 में शुरू हुआ था और इसे पूरा करने के लिए साल 2049 तक का लक्ष्य रखा गया है. BRI के तहत, सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों, और ऊर्जा परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है.
आर्थिक जानकारों का अनुमान है कि इसमें एक लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा का सरकारी पैसा लगेगा. अगस्त 2023 तक 155 देशों और 32 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ 215 सहयोग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं. हालांकि BRI की मानवाधिकारों का उल्लंघन, पर्यावरणीय प्रभाव, और ऋण-जाल कूटनीति जैसे मुद्दों पर आलोचना भी होती रहती है.
BRI प्रोजेक्ट के जरिए चीन ने देशों को इतना कर्ज बांटा है कि उन्हें एक तरह से अपना गुलाम बना लिया है. पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. अब नेपाल भी आर्थिक फायदे के चक्कर में चीन के सामने झोली फैला रहा है. वहीं चीन इन देशों का इस्तेमाल मनमर्जी से अपने दुश्मनों के खिलाफ कर सकेगा. यानी कि मौजूदा हालातों को देखते हुए नेपाल-पाकिस्तान को ये प्रोजेक्ट फायदेमंद लग सकता है लेकिन भविष्य में बहुत नुकसान देगा.
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