Supreme Court News: 'हमारी उम्र 60 के पार है. हम सबको पता है कि जब बैलट पेपर्स थे तो क्या हुआ था, आप भले ही भूल चुके हों लेकिन हम नहीं भूले. जहां तक बैलट बॉक्स या बैलट पेपर्स का सवाल है, हम सभी को उनकी खामियां पता हैं.' लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी की है. मंगलवार को दो जजों की बेंच इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) से जुड़ी याचिका सुन रही थी. याचिका में EVM वोटों की VVPAT यानी वोटर-वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल से 100% वेरिफिकेशन कराने की मांग की गई है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने दूसरे देशों से तुलना पर भी आपत्ति जाहिर की. याचिकाकर्ताओं के वकील की दलील थी कि कई यूरोपीय देश वापस पेपर बैलट की तरफ लौट चुके हैं. जर्मनी के जिक्र पर जस्टिस दत्ता ने कहा, 'मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की आबादी जर्मनी से ज्यादा है.' लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है. मंगलवार को चली सुनवाई की बड़ी बातें जानिए.
100% VVPAT वेरिफिकेशन की मांग करने वालों में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) भी एक है. मंगलवार को ADR की तरफ से सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण पेश हुए. वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन, आनंद ग्रोवर और हुजेफा अहमदी अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए. भूषण ने दलील दी कि यूरोप के कई देशों ने चुनाव के लिए वापस पेपर बैलट वाली व्यवस्था अपना ली है.
भूषण ने दलील में जर्मनी का जिक्र किया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, 'जर्मनी की आबादी कितनी है? और भारत में कितने लोग वोट डालते हैं? भारत में करीब 98 करोड़ मतदाता हैं और उनमें से 60% वोट देते हैं... तो आप कह रहे हैं कि 60 करोड़ VVPAT का मिलान किया जाए.'
SC ने कहा कि कम आबादी वाले देशों के साथ भारत की तुलना नहीं की जा सकती. अदालत ने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में चुनाव कराना बड़ा काम है. यहां यूरोप जैसी स्थितियां नहीं हैं जहां कुछ करोड़ मतदाता ही होते हैं. जस्टिस दत्ता ने मौखिक टिप्पणी में कहा, 'मेरे गृह राज्य पश्चिम बंगाल की आबादी जर्मनी से ज्यादा है.' उन्होंने कहा, 'हमें सिस्टम पर भरोसा कायम रखना होगा.' निःसंदेह, उन्हें जवाबदेह होना होगा. लेकिन इस तरह व्यवस्था को गिराने की कोशिश न करें.'
सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि वोटर्स को यह जानने का हक है कि उसका वोट किसे गया है. इसके लिए उसे VVPAT पर्ची को देखना होता है. शंकरनारायणन ने कहा कि वोटर्स को खुद से स्लिप उठाने और बॉक्स में रखने की इजाजत मिले. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि 'आमतौर पर इंसानी दखल से मुश्किल आती है... मशीनें आमतौर पर बिना इंसानी दखल के आपको सही नतीजे देती हैं.'
सुप्रीम कोर्ट ने पेपर बैलट से चुनाव कराने की दलील को सिरे से खारिज कर दिया. जस्टिस खन्ना ने कहा, 'हम सभी जानते हैं कि जब बैलट पेपर्स थे तब क्या हुआ था... हम इस पर अभी बहस नहीं करना चाहते.'
सुप्रीम कोर्ट ने EVM के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी मांगी, यह समझने के लिए कि क्या उससे छेड़छाड़ हो सकती है. SC ने चुनाव आयोग से EVM की हैंडलिंग का पूरा ब्योरा सामने रखने को कहा है. चुनाव की शुरुआत से लेकर मतगणना के बीच, EVMs के साथ कहां, क्या होता है, सुप्रीम कोर्ट जानना चाहता है. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से EVM में छेड़छाड़ हो सकती है, वाली दलील के बारे में डेटा पेश करने को भी कहा. गुरुवार को मामले में फिर सुनवाई होगी.
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