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53 दिनों से अंतरिक्ष में 'अटकी' हैं सुनीता विलियम्स, सेहत पर क्या असर पड़ा होगा?

Sunita Williams Stuck In Space: नासा के एक्ट्रोनॉट सुनीता विलिम्स और बैरी विलमोर के एयरक्राफ्ट 'स्टारलाइनर' से हीलियम गैस लीक हो गई है, दिसकी वजह से वो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में ही फंस गए हैं. उन्हें 14 जून को ही धरती पर लौटना था, लेकर वापसी को लेकर लगातार देरी हो रही है.  ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सुनीता को बोन लॉस का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही रेडिएशन एक्सपोजर का भी खतरा बढ़ रहा है. आइए जानते हैं कि अगर उन्हें कुछ दिन और स्पेस में रहना पड़े तो सेहत को क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं.

माइक्रोग्रैविटी का असर

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माइक्रोग्रैविटी का असर

माइक्रोग्रैविटी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सेहत से जुडी कई चुनौतियां पेश करती है, जो स्पेस में ज्यादा दिनों तक रहने से बढ़ जाती हैं. सबसे बड़े मसले में से एक है फ्लूइड रिडिस्ट्रीब्यूशन है, जिसके कारण चेहरे की सूजन होती है और पैरों में फ्लूइड का वॉल्यूम कम हो जाता है. ये बदलाव कार्डियोवेस्कुलर फंक्शन में रुकावट डाल सकते हैं और धरती पर लौटने पर ब्लड प्रेशर रेगुलेशन को जटिल कर सकते हैं. 

यूरिनरी सिस्टम पर असर

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यूरिनरी सिस्टम पर असर

माइक्रोग्रैविटी यूरिनरी सिस्टम को भी प्रभावित करती है. फ्लूइड शिफ्ट और परिवर्तित मेटाबॉलिज्म यूरिन में हाई कैल्शियम लेवल के कारण किडनी स्टोन के जोखिम को बढ़ाता है. गट माइक्रोबायोटा में हार्मोनल चेंजेट और शिफ्ट पोषक तत्वों के एब्जॉर्ब्शन और ओवरऑल हेल्थ को और जटिल बनाते हैं, जिससे तबीयत बिगड़ने का खतरा पैदा हो सकता है.

स्पेस मोशन सिकनेस

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स्पेस मोशन सिकनेस

माइक्रोग्रैविटी में एस्ट्रोनॉट स्पेटियल ऑरिएंटेशन, संतुलन और कोऑर्डिशने में बदलाव का अनुभव करते हैं. स्पेस मोशन सिकनेस होना शुरूआत में कॉमन है लेकिन आमतौर पर अंतरिक्ष यात्रियों के अनुकूल होने पर ये परेशानी दूर हो जाती है. अंतरिक्ष में रोजाना के काम और ऑपरेशनल एफिशिएंसी बनाए रखने के लिए इन चेंजेज में एडजस्टमेंट जरूरी है.

आंखों की रोशनी का कम होना

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आंखों की रोशनी का कम होना

लंबे समय तक स्पेश मिशन के कारण एस्ट्रोनॉट की नजरें कमजोर हो सकती हैं, जिसमें हाइपरोपिक शिफ्ट और ऑप्टिक डिस्क एडिमा शामिल हैं. ये कंडीशन मस्तिष्क और आंखों में इंट्राक्रैनील प्रेशर और फ्लूइड डिस्ट्रीब्यून में चेंजेज से जुड़ी 

रेडिएशन एक्सपोजर

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रेडिएशन एक्सपोजर

अंतरिक्ष की यात्रा करने पर एस्ट्रोनॉट को धरती के मुकाबले ज्यादा रेडिएशन लेवल का सामना करना पड़ता है जिससे डीएनए डैमेज (DNA damage) और कैंसर (Cancer) का रिस्क पैदा हो जाता है.

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