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Photos: समंदर से बहकर आया खून जैसे रंग का लाल पानी, नहीं उठ रहा रहस्‍य से पर्दा

Water turns blood red: क्‍या हो कि एकाएक समुंदर का पानी खून जैसा लाल रंग का हो जाएगा. जाहिर है डर से हालत खराब हो जाएगी. सिडनी में लोगों की ऐसी हालत है, यहां के बंदरगाह पर पानी का रंग रहस्‍यमयी तरीके से बदल गया है.

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Sea Water turn Blood Red: ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी के बंदरगाह सिडनी हॉर्बर (Sydney harbour) के वीडियो और तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं. वजह है यहां के पानी का रंग बदलकर खूनी लाल हो जाना. इसने स्‍थानीय लोगों को डरा दिया है. वे कुछ बुरा होने की आशंका से चिंता में हैं.

चमकीला लाल हुआ समुद्र का पानी

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चमकीला लाल हुआ समुद्र का पानी

इन फोटो-वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि समुद्र का पानी चमकीला लाल दिखाई दे रहा है. बिल्कुल खून जैसा लाल. पानी के रंग बदलने की घटना ने आम लोगों के साथ-साथ वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है.

अचानक दिखी लाल पानी की धारा

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अचानक दिखी लाल पानी की धारा

द सन की रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलिया के एक धनी उपनगर किरिबिली में मिल्सन पार्क के पास स्थित बंदरगाह पर समुद्र तट के किनारे पानी की लाल धारा देखी. फिर यह बढ़ती गई और यहां का पूरा पानी लाल हो गया है.

स्‍त्रोत का नहीं चल पाया पता

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स्‍त्रोत का नहीं चल पाया पता

नॉर्थ सिडनी काउंसिल ने कहा है कि उसने पानी की जांच के लिए अधिकारियों को भेजा है. लेकिन न तो सरकार को और न ही एजेंसी को लाल रंग के पानी के स्रोत का पता नहीं लग पाया है.

प्लंबर डाई होने का शक

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प्लंबर डाई होने का शक

अधिकारी इस मामले में अंदाजे ही लगा रहे हैं. इनमें से कुछ का मानना है कि समुद्र के पानी के रंग में यह परिवर्तन संभवतया प्लंबर डाई के कारण हुआ है. प्लंबर डाई को ड्रेन ट्रेसिंग डाई या फ्लोरेसिन भी कहा जाता है. इसका उपयोग प्लंबर, नालियों या पाइपों में पानी के प्रवाह का पता लगाने या लीक का पता लगाने के लिए करते हैं. लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में कोई प्‍लंबर डाई क्‍यों डालेगा कि समुद्र के पानी का रंग लाल हो जाए, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है.

जहरीली नहीं होती प्‍लंबर डाई

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जहरीली नहीं होती प्‍लंबर डाई

यदि ये प्‍लंबर डाई ही है तो कम से कम एक राहत की बात यह है कि इससे समुद्री जीवन को नुकसान नहीं होगा क्‍योंकि फ्लोरेसिन जहरीला पदार्थ नहीं है. बता दें कि इससे पहले 2012 में भी समुद्री तटों पर पानी का रंग लाल हो गया था. उस समय ऐसा रेत के कई हिस्सों पर नोक्टिलुका स्किंटिलन्स नामक शैवाल के खिलने के कारण हुआ था.

 

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