Arctic Sea Melting: आर्कटिक सर्कल में तमाम देशों के वैज्ञानिक एक अनूठा प्रयोग कर रहे हैं. वे खारा पानी डालकर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या समुद्र की बर्फ को पिघलने से रोका जा सकता है. इन वैज्ञानिकों का लक्ष्य है, ग्लोबल वार्मिंग की रफ्तार को धीमा करना. समुद्र की बर्फ जैसे-जैसे पिघलती है, गहरे समुद्र की सतह सूरज की और ज्यादा ऊर्जा अवशोषित करती है जिससे गर्माहट में तेजी आती है. वैज्ञानिक इस कोशिश में लगे हैं कि आर्कटिक में जमा बर्फ की परत को और गाढ़ा किया जा सके. यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के डॉ. शॉन फिट्जगेराल्ड की अगुवाई में वैज्ञानिकों की टीम समुद्री बर्फ को और गाढ़ा बनाने में लगी है ताकि बर्फ पिघलने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सके. तमाम रिसर्चर्स आर्कटिक सर्किल में मौजूद एक कनाडाई गांव, कैम्ब्रिज बे में चुनौतीपूर्ण हालात में डटे हैं. जानिए आर्कटिक में चल रहे इस अनोखे प्रयोग के बारे में. (All Photos : NASA Earth Observatory)
आर्कटिक क्षेत्र में मौजूद ये वैज्ञानिक बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम कर रहे हैं. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी वहां का तापमान -30 डिग्री सेल्सियस है. तेज हवाएं चलती हैं तो पारा माइनस 45 डिग्री तक गिर जाता है.
ये वैज्ञानिक सर्दियों में प्राकृतिक रूप से बनने वाली समुद्री बर्फ में छेद कर रहे हैं. सतह पर हर मिनट लगभग 1,000 लीटर समुद्री पानी पंप करते हैं. सर्दियों की ठंडी हवा के संपर्क में आते ही समुद्री पानी तुरंत जम जाता है जिससे बर्फ की ऊपरी परत मोटी हो जाती है. समुद्र का खारा पानी बर्फ को संकुचित भी कर देता है.
ताजी बर्फ एक अच्छी इन्सुलेशन लेयर का काम करती है. वैज्ञानिकों के अनुसार, अब समुद्र के संपर्क में नीचे की ओर भी अधिक आसानी से बर्फ बन सकती है. वैज्ञानिकों की सोच यह है कि सर्दियों के अंत में बर्फ की परत जितनी मोटी होगी, उसके पिघलने वाले सीजन में ज्यादा समय तक बच निकलने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी.
आर्कटिक में जमा बर्फ तेजी से पिघल रही है. एक अनुमान के मुताबिक, 2050 से पहले कम से कम एक बार तो आर्कटिक समुद्र की सारी समुद्री बर्फ पिघल जाएगी. यहां की बर्फ 1980s से लगातार कम हो रही है.
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