World first cyber attack: जिस साइबर हथियार से मोसाद ने यह किया था, उसे स्टक्सनेट कहा गया. Stuxnet अमेरिका और इजरायल द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक मैलवेयर था, जिसका उद्देश्य ईरान की परमाणु सुविधाओं को बाधित करना था. यह दुनिया का पहला ज्ञात साइबर हथियार था, जिसने परमाणु प्रोजेक्ट को सीधे निशाना बनाया. स्टक्सनेट के हमले ने साइबर युद्ध के खतरे को उजागर किया था.
हाल ही में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने लेबनान में पेजर समेत कई वायरलेस चीजों पर अटैक किया तो दुनिया हक्का-बक्का रह गई. लेकिन अतीत में मोसाद ने तो इससे बड़े-बड़े कारनामे कर दिखाए हैं.करीब 25 साल पहले मोसाद ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के साथ मिलकर एक 'डिजिटल हथियार' का इस्तेमाल किया, जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कई सालों पीछे धकेल दिया गया. इसे दुनिया का पहला साइबर हथियार माना जाता है.
हुआ यह था कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को तबाह करने के लिए मोसाद ने यह अंजाम रचा था. इसके लिए जिस कंप्यूटर वायरस का इस्तेमाल हुआ, वह Stuxnet नामक एक साइबर-हथियार था. इसे अमेरिका की CIA और इजरायल की Mossad द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया था. Stuxnet दुनिया का पहला ज्ञात साइबर हथियार है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से एक देश के महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कि परमाणु कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाना था.
इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक Stuxnet को मुख्य रूप से ईरान के नाटांज (Natanz) स्थित परमाणु संयंत्र के सेंट्रीफ्यूज को प्रभावित करने के लिए बनाया गया था. यह वायरस सेंट्रीफ्यूज (centrifuges), जो यूरेनियम को समृद्ध करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, को असामान्य गति से चलाने और फिर धीमा करने के लिए प्रोग्राम किया गया था.
इसका परिणाम यह हुआ था कि कई परमाणु उपकरण बिना किसी स्पष्ट कारण के विफल हो गए थे, जिससे ईरान का परमाणु कार्यक्रम धीमा पड़ गया. इस पूरी प्रक्रिया में Stuxnet एक कंप्यूटर वर्म के रूप में फैला, जो माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ आधारित सिस्टम को लक्षित करता था. इसे खास तौर पर SCADA (Supervisory Control and Data Acquisition) सिस्टम्स पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जो परमाणु संयंत्रों जैसे औद्योगिक नियंत्रक प्रणालियों को संचालित करते हैं.
इस वायरस ने इंटरनेट से कनेक्टेड न होने के बावजूद भी उपकरणों तक पहुंच बनाई, मुख्यतः USB ड्राइव्स के माध्यम से. इसीलिए भीषण तबाही मच गई और ईरान हक्का-बक्का रह गया था. चूंकि ईरान का परमाणु संयंत्र इंटरनेट से कटा हुआ था, इसलिए Stuxnet को USB ड्राइव्स के जरिए वहां पहुंचाया गया. Stuxnet ने सेंट्रीफ्यूजों को अत्यधिक गति से चलाकर नुकसान पहुँचाया, जिससे वे समय से पहले ही टूटने लगे.
यह वायरस चुपचाप अपना काम करता था ताकि ऑपरेटर्स को काफी समय तक इसका पता न चले. इसने सिस्टम में झूठी रिपोर्ट्स भेजकर यह दिखाने की कोशिश की कि सबकुछ सामान्य रूप से चल रहा है. Stuxnet ने ईरान के नाटांज़ संयंत्र में लगभग 1,000 से अधिक सेंट्रीफ्यूज को क्षतिग्रस्त किया, जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम में महत्वपूर्ण देरी हुई.
इसे एक सफल साइबर ऑपरेशन माना गया, जिसने परमाणु हथियारों के विकास की दिशा में ईरान की प्रगति को धीमा कर दिया. हालांकि इस ऑपरेशन ने भविष्य में साइबर हमलों के महत्व को भी रेखांकित किया और दिखाया कि कैसे कंप्यूटर वायरस और साइबर अटैक का उपयोग एक देश की रणनीतिक क्षमताओं को कमजोर करने के लिए किया जा सकता है.
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