Chanakya Niti on dogs habits in Hindi: आचार्य चाणक्य भारत ही नहीं, दुनिया के सबसे बड़े दार्शनिक और कूटनीतिज्ञ माने जाते हैं. उन्होंने करीब 3 हजार साल पहले चाणक्य नीति पर पुस्तक लिखी थी. इसमें लिखीं बातें आज भी लोगों के लिए प्रासंगिक हैं. इस पुस्तक में उन्होंने मनुष्यों से कुत्तों की 7 आदतों को ग्रहण करने के लिए कहा था. चाणक्य के मुताबिक अगर मनुष्य इन आदतों को आत्मसात कर ले तो वह अपने जीवन को बेहतर और खुशहाल बना सकता है.
कुत्ते हर नई चीजों को सीखने और उसके बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं. जब तक वे उस चीज के बारे में अच्छी तरह जान लें, वे चैन से नहीं बैठते. इसी तरह मनुष्यों को भी जिज्ञासु प्रवृति का होना चाहिए. उन्हें भी नई चीजों को सीखने और जिज्ञासा रखनी चाहिए. इससे उनके विकास की गति तेज हो जाती है.
कुत्ते अपने स्वामी के लिए बहुत वफ़ादार होते हैं. वे अपने मालिक के लिए जान दे भी सकते हैं और दूसरे की जान ले भी सकते हैं. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्यों को भी यह आदत अपनानी चाहिए. उन्हें भी अपने जीवन में काम, रिश्तों आदि में वफ़ादार और निष्ठावान होना चाहिए.
चाणक्य के मुताबिक कुत्ते हर छोटी-छोटी चीजों में खुशी और उत्साह दिखाते हैं. वे किसी भी नई चीज या घर आए नए मेहमान को देखकर खुश हो जाते हैं. इसी तरह इंसानों को भी हर वक्त परेशानियों का रोना रोने के बजाय जीवन में मिलने वाली छोटी-छोटी खुशियों का आनंद लेना चाहिए.
चाणक्य नीति में कहा गया है कि कुत्ता एक निडर जानवर है. अपने स्वामी पर संकट देखकर वह अपने से खूंखार जानवार से भी लड़ जाता है. फिर भले ही उसका अंजाम उसकी मौत ही क्यों न हो. यह आदत मनुष्यों को भी अपने अंदर ढालनी चाहिए और मुसीबत का डटकर सामना करना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक कुत्ता बहुत सतर्कता के साथ सोता है. वह जरा सी आहट होते ही तुरंत नींद से जाग जाता है. इंसानों को भी इसी तरह सोते समय भी सतर्क रहना चाहिए. जरा सी आहट होने पर उसे तुरंत अलर्ट हो जाना चाहिए. वह आहट किसी दुश्मन की भी हो सकती है.
कुत्ते का स्वभाव बहुत संयमी माना जाता है. वह केवल भूख लगने पर ही खाता है और अनावश्यक इधर- उधर की चीजों में मुंह नहीं मारता. इसी तरह मनुष्यों को भी भोजन में जो चीज मिले, उसे हाथ जोड़कर ग्रहण करना चाहिए और बिना भूख के भोजन के पीछे नहीं भागना चाहिए.
चाणक्य नीति के मुताबिक कुत्ते का स्वभाव खिलंदड़ प्रवृति का होता है. यानी कि वे खेलकूद में बहुत आनंद लेते हैं. ऐसा करने से वे फिट और खुश रहते हैं. चाणक्य कहते हैं कि इंसानों को भी खेलकूद से अपना नाता जरूर जोड़ना चाहिए. ऐसा करने से वह बीमारियों से बचा रहता है.
चाणक्य कहते हैं कि कुत्ते बेहद संवेदनशील होते हैं. वे अपने मालिकों की भावनाओं को तुरंत समझ जाते हैं. अगर स्वामी संकट में हो तो वे सहानुभूति जताते हैं और ढाढस देते हैं. यह स्वभाव मनुष्यों को भी ग्रहण करना चाहिए. उन्हें भी दूसरों की भावनाओं को समझना और सहानुभूति दिखाना चाहिए.
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