अक्सर हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग या आसपास के लोगों को हमने इनपर कई मुहावरे और लोकोक्तियां इस्तेमाल करते सुना है.
ऐसा ही एक मुहावरा है 'उल्लू का पट्ठा'. यानी किसी को बेवकूफ कहना हो तो हम उसे उल्लू कह देते हैं या इस मुहावरे का जिक्र कर लेते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि उल्लू काफी तेज होते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि उल्लुओं में सुपर-ट्यून बुद्धि होती है जो उनकी मदद करती है. दुनिया में उल्लुओं की 200 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन अंटार्कटिका में उल्लू नहीं पाए जाते हैं. पक्षियों की पूरी प्रजाति में उल्लू ही एकमात्र ऐसा पक्षी है, जो नीले रंग को पहचान सकता है.
कहा जाता है कि उल्लू अपने सिर को 360 डिग्री तक घुमा सकता है, लेकिन कोई भी पक्षी अपनी गर्दन किसी भी दिशा में केवल 135 डिग्री ही घुमाने में सक्षम है. उल्लू की आंखें गोल नहीं होती हैं, उनमें जुड़ी नलियां उन्हें बहुत दूर से भी शिकार देखने की अनुमति देती हैं, लेकिन उनकी पास की नजर स्पष्ट नहीं होती है.
एक जगह बहुत सारे उल्लू जमा हो जाएं तो उस मौके को संसद कहा जाता है. उल्लू उड़ने के दौरान किसी भी तरह का शोर नहीं करते, यहां तक कि कई माइक्रोफोन की मदद भी लेंगे तो उनका शोर सुनाई नहीं देगा.
उल्लू की नजर इतनी पैनी है कि केवल वो ही किसी वस्तु को थ्रीडी एंगल में देख सकता है. इसका मतलब है कि उल्लू किसी वस्तु की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई तीनों को देख सकता है. उल्लुओं के दांत नहीं होते, वे अपने शिकार को चबाकर नहीं खाते, बल्कि निगल जाते हैं.
उल्लू की मान्यता विभिन्न संस्कृतियों तक फैली हुई है. भारतीय ग्रंथों में उल्लू का उल्लेख मिलता हैं, ये मां लक्ष्मी के प्रिय होते हैं. लिंग पुराण में नारदजी को मानसरोवर के निकट निवासी उलूक से संगीत सीखने के बारे में बताया गया है, जिसमें उल्लू की विशिष्ट हूटिंग विशिष्ट संगीत नोट्स का प्रतिनिधित्व करती है.
पश्चिमी मान्यताओं में उल्लू ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है. जबकि, चीनी संस्कृति उन्हें अच्छे भाग्य और सुरक्षा से जोड़ती है. जापान में समस्या-समाधान का प्रतीक और प्राचीन यूनानी समृद्धि का वाहक मानते थे. यूरोप में अंधेरी ताकतों और जादू के खिलाफ रक्षा करने वाला माना जाता है.
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