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Israel-Hamas War: हमास के रॉकेट हमले से पहले इजरायल ने की थीं 4 बड़ी गलतियां, आयरन डोम भी नहीं बचा पाया

Israel-Hamas Conflict News: भले ही आज इजरायल (Israel) और हमास (Hamas) की जंग का छठवां दिन है. लेकिन ये सवाल अब भी उठ रहा है कि आखिर कैसे इजरायल को इतने बड़े हमले की भनक कैसे नहीं लगी. मोसाद कैसे फेल हो गया और आयरन डोम सिस्टम की नाकामी की क्या कहानी है. बता दें कि ये इजरायल पर बीते 50 साल का सबसे बड़ा हमला था. हमास के आतंकियों ने इजरायल में कोहराम मचा दिया. आसमान से एक के बाद एक 5 हजार मिसाइलें हमास ने इजरायल पर दागीं. बॉर्डर की फेंसिंग तोड़कर और समंदर से हमास के आतंकी इजरायल के शहरों में घुस आए. आंतकी हवा में उड़ते हुए भी लोगों के घरों तक जा पहुंचे. इजरायल में हमास के हमले ने पूरी दुनिया को चौंका दिया. आइए जानते हैं कि कैसे दुनिया का सबसे ताकतवर माना जाने वाला इजरायल का इंटेलिजेंस सिस्टम मोसाद (Mossad) हमास के आगे फेल हो गया?

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हमास की प्लानिंग के आगे इजरायल की चूक की कहानी इस रिपोर्ट में पढ़िए. बता दें कि 7 सितंबर, शनिवार को हमास के हमले के चंद वक्त पहले ही एक अलर्ट मिला था. इजरायली खुफिया एजेंसियों को गाजा बॉर्डर पर हरकत दिखी थी, जिसकी जानकारी बॉर्डर पर तैनात सैनिकों तक पहुंचाई गई लेकिन इस चेतावनी पर सैनिकों ने ना तो कोई एक्शन लिया और ना ही रिएक्ट किया. ये इजरायल की पहली और सबसे बड़ी गलती साबित हुई.

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जान लें कि हफ्ते भर पहले भी खुफिया एजेंसियों ने सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी. लेकिन दक्षिण में पैर पसार रहे हमास को लेकर कोई ठोस कदम तब भी नहीं लिए गए. बल्कि हमास पर ध्यान ना देकर उत्तरी सीमा पर लेबनान की सीमा पर सुरक्षा कड़ी की गई. ये इजरायल की दूसरी बड़ी गलती कही जा रही है.

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तीसरी गलती थी कि कुछ हफ्ते पहले ही इजरायली खुफिया एजेंटों ने हमास के आतंकियों की एक फोन कॉल को टैप किया था, जिसमें हमास के आतंकी इजरायल पर हमले की बात कर रहे थे. लेकिन उन्होंने इस पर भी ध्यान नहीं दिया. हालांकि, अब खुफिया विभाग हमास के हमले के बाद इन कॉल्स की जांच में जुट गया है.

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हमास के हमले के समय चौथी गलती दक्षिणी सीमा पर सेना की कमी साबित हुई क्योंकि हमास पर निगरानी के लिए इजरायली सेना पूरी तरह हाईटेक कैमरों, सेंसर और सेंसर से काम करने वाले मशीनगन्स पर निर्भर थी. ऐसे में जब हमास के आतंकी सीमा बाड़े को तोड़कर घुसे तो इजरायल उन्हें रोकने में कमजोर साबित हुआ.

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इजरायल के इतिहास में ये दूसरा मौका है जब सुरक्षा तंत्र इतने बड़े पैमाने पर फेल हुआ है. इससे पहले साल 1973 में खुफिया तंत्र फेल रहा था. हमला पूरी प्लानिंग का तहत हुआ था ये तो तय है. हमले के पीछे की चूक क्या रही, इसकी जांच सालों तक चलेगी. लेकिन ताजा स्थिति में इजरायल को सबसे ज्यादा अपनी दक्षिणी सीमा पर घुसपैठ को और अधिक नियंत्रित करने की जरूरत है और इजरायल के अंदर घुस चुके हमास आतंकवादियों को खदेड़ने की चुनौती है. साथ ही हमास की कैद में अपने नागरिकों छुड़ाने की चुनौती उससे कहीं ज्यादा बड़ी है.

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