Rain in Dubai: एशिया से दक्षिण पूर्व एशिया तक मौसम का बदला मिजाज लोगों की परेशानी बढ़ा रहा है. एक तरफ दुबई में अचानक हुई बारिश से आफत बढ़ गई. पूरा शहर पानी-पानी नज़र आने लगा. बड़ा ड्रेनेज सिस्टम होने के बावजूद जलभराव होने से संकट गहरा गया. जबकि इंडोनेशिया में भारी बारिश के साथ हुए भूस्खलन की वजह से बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं. इंडोनेशिया में तीन दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आसमानी आफत कितनी खतरनाक रही होगी.
पहले बात करते हैं दुबई की. UAE के कई शहरों में भारी बारिश की वजह से जनजीवन पर बुरा असर पड़ा है. मौसम की सबसे ज्यादा मार दुबई पर पड़ी है. ऊंची-ऊंची इमारतों वाले इस शहर में शनिवार को हुई मूसलाधार बारिश मुसीबत बन गई. कई इलाकों में पानी भर गया और लोगों को आवाजाही में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
दुबई दुनिया के सबसे अमीर शहरों में एक है. यहां हर तरह की सुविधाएं मिलती हैं लेकिन कुदरत के आगे सभी इंतजाम फेल हो गए और पूरा सिस्टम बेबस नज़र आया. दुबई को सपनों का शहर भी कहा जाता है लेकिन बारिश की वजह से यहां जो हालात बने वो काफी हैरान करने वाले हैं. शनिवार की बारिश के बाद दुबई एक तरह से बंधक बना हुआ नज़र आया. बारिश इतनी ज्यादा हुई कि लोग घरों से बार निकलने में भी डरने लगे.
दुबई में बारिश से बिगड़े हालात कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं. पिछले साल नवंबर में भी दुबई इसी तरह बारिश से बेहाल हुई थी. तब नए सिरे से ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त करने की चर्चा थी लेकिन इस बार हुई बारिश ने भी सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है. हालांकि शहर में भरा पानी निकालने के लिए काम काफी तेजी से किया गया और ज्यादातर जगह हालात कंट्रोल में भी घर लिए गए. लेकिन इसके लिए कर्मचारियों को काफी मेहनत करनी पड़ी. दुबई में फरवरी से मार्च के बीच बारिश अमूमन बारिश होती है लेकिन इतनी ज्यादा कभी नहीं हुई कि वहां पानी भर जाए. अब दुबई के ड्रेनेज सिस्टम के बारे में जानते हैं.
यहां करीब 1200 किलोमीटर लंबा सीवरेज पाइपलाइन नेटवर्क है. रेतीली जमीन और दूसरी चुनौतियों के बावजूद इस नेटवर्क को तैयार किया गया है ताकि शहर में जलभराव की दिक्कत से निपटा जा सके. इतना ही नहीं दुबई में 56 सब पंपिंग स्टेशन भी हैं जिनकी लगातार मेंटेनेंस होती है साथ ही सब मेन पंपिंग स्टेशन भी हैं. कुल मिलाकर दुनिया के इस आधुनिक शहर में 2 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं. दुबई की भौगौलिक परिस्थितियों और लगातार बढ़ती आबादी की वजह से ये सीवरेज सिस्टम नाकाफी साबित हो रहा है. इसलिए अब इसे बढ़ाने को लेकर काम चल रहा है.
अगले 100 साल तक शहर का ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम दुरुस्त रहे इसके लिए 18 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. यानी 18 लाख करोड़ की रकम से नया सीवरेज नेटवर्क तैयार किया जाएगा. सिस्टम सुधारने के लिए काम तो हो रहा है लेकिन इस बार हुई बारिश ने कैसे दुबई को मुसीबत में डाल दिया, वो भी समझ लीजिए.
गरजते बादल और चमकती बिजली से दुबई की जनता एक बार फिर चौंक गई. रेगिस्तानी शहर में मौसम ने ऐसी करवट बदली कि सब पानी-पानी हो गया. सड़के तालाब जैसी नज़र आने लगीं और 24 घंटे दौड़ते भागते शहर की रफ्तार पर भी मानो ब्रेक लग गया. सड़कों पर जगह-जगह पानी भरने से ट्रैफिक पर बुरा असर पड़ा और गाड़ियां धीरे-धीरे चलने लगीं.
कुदरत का ये बदला हुआ मिजाज कोई समझ नहीं पा रहा। मौसम विभाग के मुताबिक दुबई में महज छह घंटों में ही करीब 50 मिलीमीटर तक बारिश हो गई. जबकि यहां पूरे एक साल में औसतन 120 मिलीमीटर से भी कम बारिश होती है. अचानक हुई इस रिकॉर्ड बारिश से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुबई की जनता को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा होगा.
भारी बारिश की वजह से शहर में व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो गईं. दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में शुमार दुबई एयरपोर्ट भी बुरी तरह प्रभावित हुआ. बारिश की वजह से कई उड़ानें रद्द करनी पड़ीं और कई उड़ानों में देरी हुई. मौसम की मार की वजह से कई उड़ानों के रूट भी बदलने पड़े. कई यात्रियों को भी एयरपोर्ट तक पहुंचने में परेशानियों का सामना करना पड़ा.
तेज हवाओं के साथ हुई बारिश की वजह से कई जगह पेड़ टूट गए, जिसकी वजह से ट्रैफिक पर असर पड़ा. जलभराव से होने वाली परेशानियां कम की जा सकें इसके लिए करीब 2300 कर्मचारियों ने लगातार 24 घंटे काम किया. वहीं अम्मान स्ट्रीट, अलेप्पो स्ट्रीट, अल नाहदा स्ट्रीट, अल इत्तिहाद स्ट्रीट, अल खवानीज स्ट्रीट, अल यालयिस स्ट्रीट और अल कुद्रा स्ट्रीट में पानी भरने की वजह से ट्रैफिक डायवर्ट करना पड़ा. दुबई पुलिस लगातार लोगों से सावधानी बरतने की अपील करती रही.
दुबई का मौसम ज्यादातर शुष्क रहता है. दुबई में वर्ष का सबसे गर्म महीना अगस्त होता है, जिमसें सबसे ज्यादा तापमान 41 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रहता है. दुबई में सबसे सर्द महीना जनवरी का होता है जब यहां तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक रहता है. यहां वर्ष के 90% समय सबसे साफ महीना अक्तूबर होता है. दुबई में वर्ष के 46% सर्वाधिक बादलों से ढका महीना जुलाई होता है. दुबई बारिश-बर्फबारी वाले दिनों के मौसम का आदी नहीं है.
दूसरी ओर, इंडोनेशिया के सुमात्र द्वीप पर आसमानी से आफत बरसी. शुक्रवार यानी 8 मार्च को यहां भारी बारिश की वजह से तबाही हुई. भारी बारिश के साथ हुए भूस्खलन की चपेट में आने से अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है. स्थानीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रमुख ने कहा कि कई टन मिट्टी, चट्टानें और उखड़े हुए पेड़ पहाड़ से लुढ़क कर देर रात एक नदी में पहुंच गए। जिसकी वजह से पश्चिमी सुमात्रा प्रांत के पेसिर सेलाटन जिले के पहाड़ी इलाकों में कई तटबंध टूट गए और बाढ़ आ गई.
बाढ़ और भूस्खलन की वजह से इलाके में अफरातफरी मच गई। कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं. मलबे के ढेर में 14 घर पूरी तरह दब गए हैं और सैकड़ों घर खतरे की जद में हैं. 80 हजार लोग सरकारी राहत कैंपों में भेजे गए हैं. वहीं पश्चिम सुमात्रा प्रांत के नौ जिलों और शहरों में 20,000 घरों की छत तक पानी भर गया.
इंडोनेशिया में बड़ी संख्या में लोग लोग पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। जहां अक्सर भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से हमेशा खतरा बना रहता है। साथ ही निचले इलाकों में बाढ़ की वजह से लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ती है। इस बार भी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन का ट्रिपल अटैक लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ा है.
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