INS Tushil Indian Navy: भारतीय नौसेना को अगले हफ्ते रूस से पहली स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगट मिलने वाला है. इस नए जंगी जहाज को 'आईएनएस तुशिल' के नाम से नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की आगामी रूस यात्रा के दौरान, 9 दिसंबर 2024 को यह फ्रिगट औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना का हिस्सा बनेगा. राजनाथ इसकी कमिशनिंग समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. रूस में बना आईएनएस तुशिल क्यों इतना खास है, आइए आपको 5 प्वाइंट्स में बताते हैं.
#WATCH | The Indian Navy is all set to commission its latest multi-role stealth-guided missile frigate, INS Tushil, at Kaliningrad, Russia, on December 9, 2024.
— ANI (@ANI) December 6, 2024
The ceremony will be presided over by Raksha Mantri, Rajnath Singh, as the Chief Guest, with many high-ranking Russian… pic.twitter.com/cZAskPfUdh
INS तुशिल, भारत को रूस से मिलने वाला पहला गाइडेड-मिसाइल युद्धपोत है. आईएनएस तुशिल, प्रोजेक्ट 1135.6 का एक एडवांस्ड क्रिवाक III श्रेणी का फ्रिगट है. भारतीय नौसेना पहले से ही छह ऐसे रूस में बने फ्रिगट ऑपरेट करती है.
रक्षा सूत्रों के अनुसार, आईएनएस तुशिल लगभग 4,000 टन वजनी मल्टी-रोल फ्रिगट है. आईएनएस तुशिल कई तरह के मिशनों में मदद करने के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों सहित उन्नत हथियारों से लैस हैं.
आईएनएस तुशिल फिलहाल कैलिनिनग्राद में यंतर शिपयार्ड में आराम कर रहा है. 9 दिसंबर 2024 को इसे शिपयार्ड में तैनात 200 से अधिक अधिकारियों और नाविकों के भारतीय दल को सौंप दिया जाएगा. कमिशनिंग समारोह भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में होगा. सिंह अगले सप्ताह, भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य और तकनीकी सहयोग आयोग (IRIGC-M&MTC) की बैठक के लिए रूस की यात्रा करेंगे.
आईएनएस तमाल नामक दूसरे फ्रिगट की डिलीवरी अगले साल की शुरुआत में हो सकती है. तुशिल और तमाल, दोनों स्टील्थ फ्रिगट एडवांस्ड हथियारों से लैस हैं. भारत ने अक्टूबर 2018 में चार ग्रिगोरोविच-क्लास फ्रिगट खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इनमें से पहले दो को रूस से लगभग 8,000 करोड़ रुपये की लागत से आयात किया जा रहा है. बाकी दो को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के जरिए गोवा शिपयार्ड में बनाया जा रहा है.
आईएनएस तुशिल की डिलीवरी रूस-यूक्रेन संघर्ष के चलते काफी देरी के बाद हो रही है. एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम के दो अतिरिक्त मिसाइल स्क्वाड्रन की डिलीवरी 2026 तक अटक सकती है. वहीं, परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बी की कमिशनिंग 2028 तक टल सकती है. भारत ने जल्द डिलीवरी के लिए कहा था, लेकिन यूक्रेन में संघर्ष के कारण रूस की उत्पादन क्षमता वर्तमान में कम हो गई है.
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