Iitian Baba in Kumbh Mela 2025: आर्थिक युग में लोग जहां एक ओर लोग अच्छी नौकरी पाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, वहीं कुछ संन्यासी ऐसे हैं, जिन्होंने लाखों को नौकरी को ठुकराकर सन्यास की दीक्षा ली और अब सनातन धर्म की रक्षा में दिन-रात लगे हुए हैं. हम बात कर रहे हैं ऐसे 9 आईआईटियन सन्यासियों की जिन्होंने गृहस्थ जीवन को छोड़ सन्यासी हो गए. आइए, आईआईटी से पढ़े ऐसे 9 संन्यासियों के बारे मे जानते हैं, जिनको लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है.
आईआईटी दिल्ली के गोल्ड मेडलिस्ट संदीप कुमार भट्ट ने 28 वर्ष की आयु में लाखों की नौकरी को छोड़कर सन्यास का मार्ग चुना. अब वे स्वामी सुंदर गोपालदास के रूप में अपने आध्यात्मिक जीवन को समर्पित कर चुके हैं.
अभय सिंह, जो आईआईटी मुंबई से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं, कनाडा में लाखों की नौकरी छोड़कर सन्यास ले चुके हैं. वे भगवान शिव के उपासक हैं और अब साधना में लीन होकर आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हैं. महाकुंभ में उनका आकर्षण का केंद्र बनना उनकी प्रेरणादायक यात्रा को दर्शाता है.
आईआईटी बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में स्नातक और वालमार्ट (अमेरिका) में करोड़ों की नौकरी करने वाले अविरल जैन ने 2019 में सन्यास लिया. वे जैन मुनि विशुद्ध सागर जी महाराज के शिष्य हैं और आत्मज्ञान की खोज में कठोर साधना कर रहे हैं.
आईआईटी बंबई के केमिकल इंजीनियर संकेत पारिख ने अमेरिका की शानदार नौकरी छोड़कर धर्म का मार्ग चुना. धर्म में विश्वास न होने के बावजूद उन्होंने आत्मज्ञान के लिए जैन मुनि बनने का निर्णय लिया. वे आचार्य युग भूषण सुरी के मार्गदर्शन में साधना कर रहे हैं.
आईआईटी दिल्ली और आईआईएम अहमदाबाद के स्नातक आचार्य प्रशांत, जो पहले आईएएस अधिकारी भी थे, अब "अद्वैत लाइफ एजुकेशन" के माध्यम से समाज को प्रेरित कर रहे हैं. वे अपने प्रवचनों और आध्यात्मिक ग्रंथों के जरिए लाखों लोगों के जीवन को जागरूक बना रहे हैं.
आईआईटी कानपुर और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से पढ़े महान एमजे ने 2008 में रामकृष्ण मठ का हिस्सा बनकर सन्यास का मार्ग चुना. वे गणित के प्रोफेसर भी रहे हैं और अब आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से लोगों को जीवन का गहन अर्थ समझा रहे हैं.
आईआईटी बंबई से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक गौरांग दास, इस्कॉन से जुड़े एक प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर हैं. वे आध्यात्मिकता और वैज्ञानिक सोच को जोड़कर जीवन की समस्याओं का समाधान बताते हैं.
आईआईटी मद्रास और आईआईएम कोलकाता के स्नातक स्वामी मुकुंदानंद ने योग और ध्यान के प्रचार के लिए "जगदगुरु कृपालुजी योग" की स्थापना की. उन्होंने कॉरपोरेट करियर को त्यागकर अपनी आत्मा की आवाज सुनने का निर्णय लिया और अब वे लोगों को संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं.
आईआईटी दिल्ली और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से पढ़े रसनाथ दास ने इस्कॉन से जुड़कर आध्यात्मिक जीवन अपनाया. वे "अपबिल्ड" नामक संस्था के माध्यम से लोगों में नेतृत्व और आत्म-जागरूकता को बढ़ावा दे रहे हैं.
ट्रेन्डिंग फोटोज़