Black Holes Made From Light: अल्बर्ट आइंस्टीन ने सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में कहा है कि स्पेसटाइम में कर्वेचर (वक्रता) के लिए द्रव्यमान (m) के बजाय ऊर्जा (e) जिम्मेदार है. इस कर्वेचर के चलते ही गुरुत्वाकर्षण आकर्षण होता है. अगर आइंस्टीन की थ्योरी के हिसाब से चलें तो सिर्फ प्रकाश की ऊर्जा से ही ब्लैक होल बन सकते हैं. ऐसे काल्पनिक ब्लैक होल्स को कुगेलब्लिट्ज (kugelblitze) कहा जाता है. नई रिसर्च बताती है कि ब्रह्मांड में कुगेलब्लिट्ज का होना असंभव है. यानी नई स्टडी सीधे आइंस्टीन की 'थ्योरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी' को चुनौती दे रही है.
ब्लैक होल, ब्रह्मांड की सबसे रहस्यमय वस्तुओं में से हैं. ये ऐसे विशाल पिंड होते हैं जिनका गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा होता है कि कुछ भी, यहां तक कि प्रकाश भी उनकी पकड़ से नहीं बच पाता. आमतौर पर, ब्लैक होल तब बनते हैं जब कोई विशाल तारा अपने जीवन के अंत में ढह जाता है. हालांकि, ब्लैक होल बनने की और भी थ्योरीज हैं जिनमें से एक है कुगेलब्लिट्ज का निर्माण. यह जर्मन भाषा का शब्द है जिसका मतलब 'प्रकाश की गेंद' होता है.
कुगेलब्लिट्ज एक प्रकार का काल्पनिक ब्लैक होल है जो सामान्य पदार्थ के ढहने से नहीं, बल्कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन, जैसे प्रकाश, की भारी मात्रा को संकेंद्रित करने से बनता है. प्रकाश में द्रव्यमान नहीं होता, लेकिन ऊर्जा होती है. आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत में, ऊर्जा स्पेसटाइम में कर्वेचर बनाने के लिए जिम्मेदार है जिसकी वजह से गुरुत्वाकर्षण आकर्षण होता है. यानी सैद्धांतिक रूप से, प्रकाश के लिए ब्लैक होल बनाना संभव है.
Physical Review Letters में छपी स्टडी के लीड ऑथर अल्वारो अल्वारेज-डोमिंग्वेज के अनुसार, 'जब अविश्वसनीय रूप से तीव्र विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा होती है - उदाहरण के लिए, प्रकाश की विशाल सांद्रता के कारण - इस ऊर्जा का एक हिस्सा इलेक्ट्रॉन-पॉजिट्रॉन जोड़े के रूप में पदार्थ में बदल जाता है.' उन्होंने कहा, 'यह एक क्वांटम प्रभाव है जिसे श्विंगर प्रभाव कहा जाता है. इसे वैक्यूम ध्रुवीकरण के रूप में भी जाना जाता है.'
अपनी स्टडी में, रिसर्च टीम ने विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र में बने इलेक्ट्रॉन-पॉजिट्रॉन जोड़ों की ऊर्जा की कमी की दर की गणना की. अगर यह दर किसी दिए गए क्षेत्र में विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र की ऊर्जा की पुनःपूर्ति दर से अधिक है, तो कुगेलब्लिट्ज नहीं बन सकता.
रिसर्च टीम ने पाया कि, अत्यंत चरम परिस्थितियों में भी, शुद्ध प्रकाश कभी भी ब्लैक होल बनाने के लिए आवश्यक ऊर्जा सीमा तक नहीं पहुंच सकता. स्टडी के को-ऑथर लुइस जे. गारे ने Live Science को बताया, 'हमने साबित किया है कि प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से या प्राकृतिक रूप से होने वाले खगोलीय परिदृश्यों में प्रकाश को केंद्रित करके कुगेलब्लिट्ज बनाना असंभव है.
यह खोज, ब्रह्मांड संबंधी मॉडलों पर महत्वपूर्ण प्रतिबंध लगाती है. नई रिसर्च यह दिखाती है कि जटिल वैज्ञानिक सवालों को हल करने के लिए क्वांटम मैकेनिक्स और जनरल रिलेटिविटी को कैसे समेटा जा सकता है.
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