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ब्रह्मांड का सबसे बड़ा रहस्य - डार्क मैटर आखिर कहां है? हमारे सौरमंडल में ही छिपा था इसका राज!

Dark Matter Mystery: ब्रह्मांड में जितने भी तारे, ग्रह-उपग्रह, ब्लैक होल, गैस, धूल आदि है, वह सब सामान्य पदार्थ है. अधिकांश पदार्थ ऐसा है जिसे हम अभी तक नहीं खोज पाए हैं. समस्त द्रव्यमान का लगभग 70 से 80 प्रतिशत हिस्सा रहस्यमय पदार्थ है जिसे डार्क मैटर के नाम से जाना जाता है. आखिर यह डार्क मैटर कहां है? यह हमें नहीं मालूम लेकिन इसका पता लगाने के कुछ तरीके हैं. इनमें से एक तरीका तो हमारे सौरमंडल में ही मौजूद है.

डार्क मैटर से इंटरएक्शन की वजह से बने आयन!

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डार्क मैटर से इंटरएक्शन की वजह से बने आयन!

बृहस्पति (Jupiter) के रात वाले हिस्से में, ऊपरी वायुमंडल में इंफ्रारेड चमक नजर आई. एक नई स्टडी बताती है कि यह चमक डार्क मैटर से प्रतिक्रिया के चलते बनी हो सकती है. बृहस्पति के इस हिस्से में आवेशित हाइड्रोजन आयन जिन्हें ट्राइहाइड्रोजन धनायन (H3+) कहा जाता है, बहुतायत में मिलते हैं. तमाम प्रक्रियाओं से H3+ का निर्माण हो सकता है, लेकिन डार्क मैटर से प्रतिक्रिया पर हमें ये सामान्य से ज्यादा मिलेंगे. 

Physical Review Letters में छपी यह स्टडी प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी के भौतिक विज्ञानी कार्लोस ब्लैंको तथा स्टैनफोर्ड लीनियर एक्सेलरेटर सेंटर (SLAC) नेशनल एक्सेलेरेटर लैबोरेटरी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रेबेका लीन ने की है. उनके मुताबिक, 'डार्क मैटर ग्रहों के वायुमंडल में H3+ का एक अतिरिक्त स्रोत पैदा कर सकता है. यह तब पैदा होगा जब डार्क मैटर बिखर जाएगा और ग्रहों द्वारा पकड़ लिया जाएगा, परिणामस्वरूप यह नष्ट हो जाएगा, जिससे आयनकारी विकिरण (ionizing radiation) पैदा होगा.'

कहां दिखता है डार्क मैटर का प्रभाव?

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कहां दिखता है डार्क मैटर का प्रभाव?

हम डार्क मैटर को सीधे तौर पर नहीं देख सकते और यह सामान्य पदार्थ से उस तरह प्रतिक्रिया भी नहीं करता कि हम पकड़ सकें. डार्क मैटर का प्रभाव हमें ब्रह्मांडीय पिंडों की गति में महसूस होता है. ऐसा मालूम होता है कि ब्रह्मांड की सभी वस्तुएं सामान्य पदार्थ की तुलना में कहीं ज्यादा गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में आगे बढ़ती हैं.

जब हम सामान्य पदार्थ के हिस्से को घटा देते हैं, तो बचा हुआ गुरुत्वाकर्षण डार्क मैटर की वजह से माना जाता है. ऐसे ही हम जान पाते हैं कि कुछ मौजूद है और यह माप सकते हैं कि यह कितना है.

क्या अपने आप नष्ट हो जाता है डार्क मैटर?

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क्या अपने आप नष्ट हो जाता है डार्क मैटर?

डार्क मैटर क्या हो सकता है, इस बारे में कई सैद्धांतिक विकल्प उपलब्ध हैं. उनमें से कई के गुण ऐसे हैं जिनका विभिन्न तरीकों से पता लगाया जा सकता है. एक विचार यह कहता है कि डार्क मैटर खुद-ब-खुद नष्ट हो जाता है. जब डार्क मैटर के दो कण टकराते हैं तो वे एक-दूसरे को खत्म कर देते हैं जिससे ऊष्‍मा या प्रकाश या दोनों का हल्का धमाका होता है.

ब्लैंको और लीन का  कहना है कि ग्रहों के वायुमंडल में, आयनमंडल नाम की परत में यह विनाश हो सकता है. डार्क मैटर के कणों को ग्रह का गुरुत्वाकर्षण पकड़ लेता है और वे आयनमंडल में चले जाते हैं, जहां वे परस्पर विनाश करते हैं.

जुपिटर से खुलेगा डार्क मैटर का राज!

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जुपिटर से खुलेगा डार्क मैटर का राज!

रिसर्चर्स के अनुसार, विनाश की इस प्रक्रिया को देखने के लिए बृहस्पति से अच्छी जगह नहीं हो सकती. यह हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा गैर-सौर पिंड है, जिसका कोर अपेक्षाकृत ठंडा है. इस वजह से यह लोकल लेवल पर मौजूद सबसे कुशल डार्क मैटर कैप्चरर होगा. दो दशक पहले जब Cassini बृहस्पति से होकर गुजरा था, तब उसपर 'विजुअल एंड इंफ्रारेड मैपिंग स्पेक्ट्रोमीटर (VIMS) लगा था. हो सकता है कि उसने डार्क मैटर विनाश के संकेत का पता लगा लिया हो.

हमें इस विनाश से पैदा हुए कम मात्रा का रेडिएशन नहीं दिखेगा, लेकिन उसका उत्पाद दिख सकता है. वह रेडिएशन आयनकारी हो सकता है - यानी, यह आयनमंडल में परमाणुओं से इलेक्ट्रॉनों को ढीला कर देता है. नतीजा सकारात्मक रूप से आवेशित H3+ होता है, जिसकी इंफ्रारेड चमक का पता VIMS लगा सकता था.

ब्लैंको और लीन की स्टडी ने दिखाया रास्ता

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ब्लैंको और लीन की स्टडी ने दिखाया रास्ता

दिक्कत यह है कि सौरमंडल में आयनीकरण की तमाम प्रक्रिया चलती हैं. सोलर रेडिएशन भी आयनीकरण कर सकता है. जुपिटर के ध्रुवों पर विशाल, शक्तिशाली ऑरोरा हैं जो H3+ भी पैदा करते हैं. इसलिए ब्लैंको और लीन ने ग्रह के भूमध्यरेखीय क्षेत्र से रात में मापों को देखा, उस समय जब ऑरोरा का प्रभाव कम से कम था और सूर्य का प्रकाश आयनमंडल में हस्तक्षेप नहीं कर सकता था.

उन्हें अतिरिक्त H3+ का पता नहीं चला लेकिन नतीजों से रिसर्चर्स को यह निर्धारित करने में मदद मिली कि इस खास तरह के डार्क मैटर को किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए. वैज्ञानिकों को इससे सौरमंडल के बाहर अन्य ग्रहों पर डार्क मैटर का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई. 

ब्लैंको और लीन ने स्टडी मे कहा , 'हमने पहली बार यह दिखाया है कि डार्क मैटर ग्रहों के वायुमंडल में आयनकारी रेडिएशन पैदा कर सकता है. जिसका पता वायुमंडलीय ट्राइहाइड्रोजन धनायनों की अत्यधिक अधिकता से लगाया जा सकता है.'

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