China Nuclear Power Plant: दुनिया के विकसित देशों के पास न्यूक्लियर रिएक्टर हैं. इस सूची में जापान, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, रूस चीन और भारत आगे हैं. आईएईए की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 वर्षों में चीन ने 37 न्यूक्लियर रिएक्टर बनाए हैं और दावा कर रहा है कि अब वो हर साल आठ रिएक्टर बनाएगा. इन सबके बीच यह भी जानना जरूरी है कि किस देश ने सबसे अधिक रिएक्टर लगाए हैं.
अगर न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने की बात करें तो चीन ने अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस और भारत को पीछे छोड़ दिया है. IAEA के मुताबिक पिछले 10 साल में चीन ने जहां 37 रिएक्टर बनाए हैं वहीं अमेरिका और भारत ने महज दो रिएक्टर बनाए हैं. चीन में इस समय कुल परमाणु रिएक्टरों की संख्या 55 है.
चीन द्वारा पिछले 10 साल में जो 37 रिएक्टर बनाए हैं. उससे साफ है कि चीन करीब करीब 3.7 रिएक्टर हर साल बनाने में कामयाह हुआ. अब चीन ने हर वर्ष 8 रिएक्टर बनाने का फैसला किया है.अब चीन इतना तेजी से रिएक्टर क्यों बना ले रहा है. दरअसल यहां आसानी से लाइसेंस और सस्ता लोन मिल जाता है.
वैसे तो चीन तेजी से रिएक्टर बना रहा है. लेकिन बात जब दूसरे देशों की आती है तो वो विरोध पर उतर जाता है, जापान ने जब फुकुशिमा रिएक्टर से पानी को प्रशांत महासागर में छोड़ा था तो चीन ने ही सबसे अधिक विरोध किया था.
अमेरिका में अगर न्यूक्लियर रिएक्टर की बात करें तो यहां पर कुल 92 परमाणु संयंत्र हैं. इसके अलावा पिछले 10 वर्षों में 2 रिएक्टर बनाए हैं. आईएईए के मुताबिक परमाणि ऊर्जा की लागत 5836 रुपए प्रति मेगावाट घंटे कम हो गई है. लेकिन अमेरिका में यह लागत 8754 रुपए प्रति मेगावाट घंटे हैं.
पश्चिमी देश खासतौर से अमेरिका में रिएक्टर बनाने में देरी क्यों होती है. जबकि उसके पास पैसे की कमी नहीं है. दरअसल पश्चिमी देशों में रिएक्टर बनाने के लिए लाइसेंस आसानी से हासिल नहीं होता है. इसके अलावा निवेश और कानूनी अड़चनों की वजह से भी रिएक्टर बनाने में देरी होती
अगर बात भारत की करें तो यहां कुल 22 परमाणु संयंत्र हैं. पिछले 10 वर्षों में दो नए रिएक्टर स्थापित किए गए हैं. भारत सरकार का कहना है कि आने वाले 25 वर्षों में ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों से निर्भरता कम करनी होगी. सरकार न्यूक्लियर रिएक्टर स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
भारत में न्यूक्लियर रिएक्टर में देरी के पीछे बड़ी वजह फंड का होना है. इसके साथ ही पर्यावरण संबंधी चुनौतियां है. इसके अलावा परमाणु रिएक्टर चलाने के लिए यूरेनियम ईंधन की जरूरत होती है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि यूरेनियम के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है.
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