Radhika Raje Gaekwad: भारत की रॉयल्टी और उनकी भव्यता ने सदियों से लोगों को आकर्षित किया है. महलों, परंपराओं और शाही परिवारों की कहानियां आज भी लोगों के दिलों में बसती हैं. इन्हीं कहानियों में एक नाम ऐसा भी है जो न केवल अपनी सुंदरता बल्कि अपनी सादगी और शालीनता के लिए भी मशहूर है.. महारानी राधिकाराजे गायकवाड़. आइये आपको उनकी जिंदगी के कुछ रोचक पहलुओं और शाही ठाठ-बाट के बारे में बताते हैं.
महारानी राधिकाराजे गायकवाड़ को दुनिया की सबसे सुंदर महारानियों में से एक माना जाता है. फोर्ब्स की एक रिपोर्ट ने उन्हें देश की सबसे सुंदर महारानी का खिताब दिया है. उनकी सादगी और गरिमा हर किसी को प्रभावित करती है.
राधिकाराजे का जन्म वांकानेर के महाराजकुमार डॉ. रणजीतसिंहजी के परिवार में हुआ. उनका शाही परिवार भारतीय इतिहास में गहराई से जुड़ा है. 2002 में उन्होंने बड़ौदा के महाराजा समरजीत सिंह राव गायकवाड़ से शादी की.
महारानी राधिकाराजे ने भारतीय इतिहास में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है. शादी से पहले उन्होंने प्रमुख पत्रिकाओं और अखबारों के लिए पत्रकार के रूप में काम किया. उनकी ज्ञान और समझ उन्हें और भी खास बनाता है.
गायकवाड़ परिवार का निवास स्थान लक्ष्मी विलास पैलेस भारत के सबसे भव्य महलों में से एक है. यह महल 1890 में महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ III द्वारा बनवाया गया था और इसका निर्माण 12 वर्षों में पूरा हुआ.
लक्ष्मी विलास पैलेस 500 एकड़ में फैला है और इसमें 176 कमरे हैं. यह लंदन के बकिंघम पैलेस से चार गुना बड़ा है. इसकी वास्तुकला इंडो-सारासेनिक शैली की है जो इसे और भी खास बनाती है.
महल में इस्तेमाल किया गया संगमरमर राजस्थान और इटली से मंगवाया गया था. जबकि लाल बलुआ पत्थर आगरा से लाया गया था. महल में 300 फीट ऊंचा क्लॉक टावर है. लेकिन इसकी घंटी कभी नहीं बजाई गई.
महाराजा समरजीत सिंह गायकवाड़ पहले एक फर्स्ट-क्लास क्रिकेटर रह चुके हैं. उन्होंने मोती बाग स्टेडियम में एक क्रिकेट अकादमी भी स्थापित की है. इसके अलावा वह लक्ष्मी विलास पैलेस परिसर में 10-होल गोल्फ कोर्स पर गोल्फ खेलते हैं.
लक्ष्मी विलास पैलेस पर्यटकों के लिए खुला है. महल देखने के लिए 150 रुपये और संग्रहालय का दौरा करने के लिए 60 रुपये का शुल्क लगता है. यह महल दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है.
महारानी राधिकाराजे की सादगी उनकी सबसे बड़ी खासियत है. उनका व्यक्तित्व न केवल शाही है बल्कि वह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतीक है. उनकी उपस्थिति हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है.
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