Kailash Mansarovar Yatra: सनातन धर्म में कैलाश मानसरोवर का धर्मिक महत्व बहुत अधिक है. भोले बाबा के भक्तों के लिए तो यह तीर्थ स्थान इतना महत्वपूर्ण है कि हर कठिनाई सहकर भी हजारों भक्त कैलाश मानसरोवर यात्रा पर निकल पड़ते हैं.
भगवान शिव और माता पार्वती के निवास स्थान के रूप में प्रसिद्ध कैलाश पर्वत, हिमालय की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है जहां हजारों साल से तीर्थयात्रियों का जत्था पूजा साधना के लिए पहुंचता रहा है.
अचानक कैलाश मानसरोवर यात्रा का जिक्र इसलिए होने लगा है क्योंकि चीन ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा की मंजूरी दे दी है. जो कि आध्यात्मिक साधकों के लिए बड़ी खुशखबरी है. यात्रा को साल 2020 से रोक दी गई थी लेकिन अब श्रद्धालु यात्रा पर जा सकेंगे. आइए इस बारे में और जानकारी हासिल करते हैं.
कैलाश मानसरोवर की यात्रा तीन अलग अलग रास्तों से की जा सकती है: पहला है उत्तराखंड, यहां लिपुलेख से जहां से 65 किलोमीटर कैलाश मानसरोवर की दूरी है. 24 दिन की यह पूरी यात्रा होती है. इस यात्रा पर निकलने से पहले दिल्ली में यात्रियों की तीन दिन की ट्रेनिंग होती है. यात्रा में कुल खर्च 1.80 लाख रुपये का आता है.
कैलाश मानवरोवर यात्रा का दूसरा रूट सिक्किम के यहां के नाथूला होकर यह रास्ता गुजरता है. यह रूट केवल 802 किलेामीटर का है जिसे पूरा करने में 21 दिन लगते हैं. जिसके लिए दिल्ली में ट्रेनिंग दी जाती है और इस रूट का खर्च 2.5 लाख रुपये होता है. तीसरा रूट तिब्बत से होकर जाता है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा में सैकड़ों तीर्थ यात्री आवेदन तो करते हैं पर सभी नहीं जा सकते हैं क्योकि इसके लिए कुछ योग्यता होनी जरूरी है जैसे- यात्री भारतीय नागरिकों हो, उसके पास भारतीय पासपोर्ट हो, 70 साल से अधिक उम्र न हो.
यात्री का बॉडी मास इंडेक्स 25 या उससे कम हो, यात्री का शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होना अनिवार्य है. यात्रा से पहले मेडिकल सर्टिफिकेट और पासपोर्ट, वीजा, एड्रेस प्रूफ, पासपोर्ट साइज फोटो जरूरी है.
कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए पासपोर्ट और वीजा होना अनिवार्य है. यह क्षेत्र चीन के कब्जे वाले तिब्बत में है जिसके कारण चीनी सरकार की मंजूरी के बाद ही यात्रा की जा सकती है.
यात्रा की सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के कंधों पर होती है. यात्रियों की सहायता के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) व सिक्किम पर्यटक विकास निगम (KPVN) की तैनाती की जाती है. ध्यान दें कि दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट द्वारा किए जाने वाले फिटनेस टेस्ट हर एक यात्री को यात्रा से पहले करवाना अनिवार्य होता है.
हिंदू मान्यताओं में कैलाश पर्वत हमेशा से एक धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध रहा है. जिसे भगवान शिव और माता पार्वती का निवास स्थान कहा गया है. हालांकि कैलाश पर्वत केवल हिंदु ही नहीं, बल्कि बौद्ध, जैन और बोन धर्म को मानने वालों के लिए भी बहुत महत्व रखता है.
जैन धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान ऋषभ देव ने यहीं निर्वाण लिया और बौद्ध धर्म में इसे ही ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु माना गया है. सिख धर्म में कैलाश पर्वत का जिक्र है कि गुरु नानक देवजी ने यहां की यात्रा की थी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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