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Assam Floods: असम में बाढ़ से करीब 12 लाख लोग संकट में, इस बार भी हालात नहीं बदले; आखिर हर साल क्यों देखनी पड़ती हैं ऐसी तस्वीरें

 असम में आसमानी आफत के बाद भीषण बाढ़ का संकट जारी है. वहां ब्रह्मपुत्र तथा उसकी सहायक नदियों समेत प्रमुख नदियों का पानी खतरे के निशान के ऊपर बहने के कारण 23 जिलों में 11.50 लाख लोग प्रभावित हैं.

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मुख्यमंत्री हिमंता और उनकी कैबिनेट आज राज्य के सभी जिलों में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा करने के लिए बैठक कर रही है. बाढ़ के कारण बारपेटा, विश्वनाथ, कछार, चराईदेव, चिरांग, दारांग, धेमाजी, डिब्रूगढ़, गोलाघाट, जोरहाट, कामरूप मेट्रोपोलिटन, कार्बी आंगलोंग, करीमगंज, लखीमपुर, माजुली, मोरीगांव, नगांव, नलबाड़ी, शिवसागर, सोनितपुर, तमुलपुर, तिनसुकिया और उदालगुड़ी जिले प्रभावित हैं.

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असम सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि लखीमपुर में सबसे ज्यादा 1.65 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में भी बाढ़ की स्थिति गंभीर है जहां जंगल का एक बड़ा हिस्सा जलमग्न हो गया है तथा गैंडे का एक बच्चा बाढ़ के पानी में डूब गया.

 

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मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय उद्यान में स्थिति की भी समीक्षा की और प्राधिकारियों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित करने समेत पर्याप्त ऐहतियात बरतने का निर्देश दिया ताकि वन्यजीवों को नुकसान नहीं पहुंचे.

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प्रशासन, राज्य आपदा मोचन बल, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, आपात सेवा और वायु सेना राज्य के विभिन्न हिस्सों में बचाव व राहत अभियान में शामिल है.

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पूरे राज्य में विभिन्न जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए 490 राहत शिविरों में 2.90 लाख से अधिक लोगों ने शरण ली है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर प्रभावित जिलों में बाढ़ के पानी के कारण तटबंधों, सड़कों, पुलों तथा अन्य बुनियादी ढांचों को नुकसान पहुंचा है.

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असम में बाढ़ हर साल कहर बरपाती है. ये सच है कि बादलों को बरसने से नहीं रोका जा सकता.  बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हर साल ऐसी तस्वीरें देखने को मिलती हैं. इतने संसाधन होने के बावजूद हर साल लाखों लोगों का बाढ़ से प्रभावित होना किसी त्रासदी से कम नहीं है. 

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