What if Ghazipur Landfill Fall: युगांडा की राजधानी कंपाला में रविवार को कूड़े का पहाड़ ढह जाने से 18 लोगों की मौत हो गई. राहत एवं बचाव कार्य जारी है. माना जा रहा है कि मलबे में काफी लोग दबे हो सकते हैं. जिस वक्त यह हादसा हुआ, तब लोग सो रहे थे, तभी कूड़े का पहाड़ ढह गया और उनका घर व मवेशी मलबे में दब गए. लेकिन जरा सोचिए कि अगर युगांडा में ऐसा हादसा हो सकता है तो दिल्ली कैसे महफूज रह सकती है.
दिल्ली में कूड़े के तीन पहाड़ हैं, जहां पूरे शहर का कचरा डाला जाता है. ये हैं गाजीपुर लैंडफिल, ओखला लैंडफिल और भलस्वा लैंडफिल. यहां बात करेंगे कि अगर ये लैंडफिल ढह जाएं तो उन इलाकों का क्या हाल होगा. इसकी कुछ भयंकर तस्वीरें भी AI ने दिखाई हैं.
पहले बात गाजीपुर लैंडफिल की. यह 70 एकड़ में फैला हुआ है और शुरुआत 1984 में हुई थी. यहां इसी साल अप्रैल में भयंकर आग लगी थी, जिससे पूरा इलाका धुएं और जहरीली गैस से भर गया था. इसी ऊंचाई एक समय पर कुतुब मीनार (65 मीटर) से भी ज्यादा हो गई थी. लेकिन अब इसकी ऊंचाई 50 मीटर है.
इसको साल 2024 में खत्म किए जाने का टारगेट था लेकिन अब डेडलाइन 2026 कर दी गई है. साल 2019 में इस लैंडफिल से कचरा हटाने का काम शुरू किया गया था.
उस वक्त साइट पर 140 मीट्रिक टन कूड़ा था. दिल्ली में हर दिन घरों से 11,352 टन कचरा निकलता है. करीब 7,352 टन कूड़े को रिसाइकल कर लिया जाता है जबकि 4 हजार टन कूड़ा इन लैंडफिल पर डाला जाता है.
साइंस जर्नल लैंसेट की एक स्टडी में कहा गया है कि इन लैंडफिल के आसपास 5 किमी के दायरे में जो भी लोग रहते हैं, उनको टीबी, डायबिटीज और अस्थमा के अलावा अवसाद की समस्या का खतरा ज्यादा रहता है.
आपको बता दें कि गाजीपुर लैंडफिल साल 2017 में ढह गया था, तब 50 टन कचरा गिरा था, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे. इस दौरान कार और टू-व्हीलर्स को कचरा बहाकर ले गया था. वहां रहने वाले लोगों का जीना पहले ही मुहाल हो चुका है.
ओखला लैंडफिल में 40 लाख मीट्रिक टन कचरा और भलस्वा लैंडफिल पर 54 लाख मीट्रिक टन कचरा पड़ा है. अब आते हैं कि अगर ये तीनों कूड़े के पहाड़ ढह गए तो क्या होगा. इनके ढहने से उस इलाके को भयंकर नुकसान पहुंचेगा. AI की तस्वीरें कहानी साफ बयान कर रही है. अकसर गैस के कारण कूड़े में आग लगने की घटनाएं सामने आती ही रही हैं.
ये कूड़े के पहाड़ ढहने से जान-माल की भारी हानि हो सकती है. इसके अलावा पूरा इलाका कूड़े से भर जाएगा और पीने का पानी तक दूषित हो सकता है. अगर आग लगी तो ये कई घरों को भी चपेट में ले सकती है.
इन इलाकों के अलावा आसपास के इलाकों पर भी इसका भारी असर पड़ेगा. यातायात इन इलाकों में ठप हो सकता है और राहत एवं बचाव कार्य में दिक्कतें आ सकती हैं. सड़कों से लेकर घर तक कूड़े में दब जाएंगे. तमाम सरकारी एजेंसियां इन पहाड़ों की हाइट कम करने के दावे करती रही हैं लेकिन अब तक कदम नाकाफी ही साबित हुए हैं.
जिन लोगों की दुकानें या व्यवसाय इन कूड़े के पहाड़ों के आसपास हैं, वो बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं. गाजीपुर लैंडफिल से महज कुछ ही दूरी पर गाजीपुर मंडी भी है, जहां हर दिन हजारों ट्रक दूसरे राज्यों से सब्जियां लेकर पहुंचते हैं. ऐसे में अगर ये पहाड़ ढह गया तो सब्जी विक्रेताओं पर ये बुरी तरह असर डालेगा.
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