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डूरंड लाइन: दुनिया का सबसे खतरनाक बॉर्डर, जहां तालिबान-पाकिस्तान में मची है मार-काट; ये है हिस्ट्री

Why Durand Line is a friction point between Afghanistan and Pakistan: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जंग तेज हो गई है. हालात इतने बदतर हो गए हैं कि अफगान तालिबानी लड़ाकों ने डूरंड लाइन पार करके पाकिस्तानी सेना को मार रहे हैं, चौकियों पर कब्जा करने की बात भी सामने आ रही है. पाकिस्तान खुद की सेना को बचाने के लिए एयर स्ट्राइक कर रही है.  डूरंड लाइन इन दिनों दुनिया का सबसे खतरनाक बॉर्डर बन गया है, भीषण जंग ने दोनों देशों के बीच में भयंकर तनाव पैदा कर दिया है. डूंरड लाइन पर पाकिस्तान-अफगानिस्तानी सेना आमने सामने हैं. हालांकि अभी तक दोनों देशों की तरफ से इस युद्ध को लेकर कोई ऐलान नहीं हुआ है. इसलिए इस युद्ध को अघोषित युद्ध कहा जा रहा है. आइए जानते हैं डूरंड लाइन पर क्यों मची है तालिबान-पाकिस्तान में मार-काट. क्या है डूरंड लाइन की हिस्ट्री.

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान बॉर्डर यानी डूरंड लाइन पर हालात बेहद खराब हो गए हैं. तालिबानी लड़ाके डूरंड लाइन पार कर पाकिस्तान में घुसकर चौकियों पर हमला कर रहे हैं, तो जवाब में पाकिस्तानी सेना भी अफगानिस्तान के भीतर हमले कर रही है. इस बीच, पाकिस्तान-अफगानिस्तान (तालिबान) की लड़ाई के बीच, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तान की कई सैन्य चौकियों पर कब्जे कर लिए हैं.

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पाकिस्तानी फौजी चौकियों पर तालिबान लड़ाकों के कब्जे के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं. इस समय दोनों देशों की सेना डूरंड लाइन पर आमने सामने है. इतना ही नहीं दोनों सेनाओं की तरफ से गोलाबारी जारी है और इस अघोषित जंग में अब तक कई लोग मारे भी जा चुके हैं. अफगानिस्तान की सेना के हमले में सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका वजीरिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा है. जहां पर आम नागरिकों की भी जान जा रही है.

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तो आइए जानते हैं कि आखिर क्या है डूरंड बॉर्डर. क्यों इसको लेकर दोनों मुल्कों में मचा है कोहराम. आपके जानकारी के लिए बता दें कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2640 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा का नाम डूरंड रेखा है. डूरंड लाइन के पास दो प्रमुख जनजातीय समूह रहते हैं. ये समूह पंजाबी और पश्तून हैं. ज्यादातार पंजाबी और पश्तून सुन्नी मुस्लिम हैं. पंजाबी पाकिस्तान में सबसे बड़ा एथनिक समूह है जबकि पश्तून अफगानिस्तान का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है.

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा के पास रहने वाले पश्तूनों का आरोप है कि इस बॉर्डर ने उनके घरों कों बांट दिया है. वे दशकों से उस इलाके में अपने परिवार और कबीले के साथ रहते थे, लेकिन ब्रिटिश हुकूमत ने प्लानिंग के तहत पश्तून बहुल इलाकों के बीच रेखा खींच दी, जिससे पश्तून दो देशों के बीच बंट गए.

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डूरंड लाइन का कनेक्शन अंग्रेजों के समय से है. दरअसल ब्रिटिशों ने दक्षिण एशिया में अपने हितों की रक्षा के लिए डूरंड लाइन बनाई थी. इसे 1893 में ब्रिटिश इंडिया और एमिरेट्स ऑफ अफगानिस्तान के बीच बनाया गया था. वहीं इस बॉर्डर का नाम सर हेनरी डूरंड के नाम पर रखा गया था, जो उस समय भारत के अंग्रेजी शासक के विदेश सचिव थे.

 

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जानकारी के मुताबिक उस दौरान ब्रिटिशों ने तत्कालीन अफगान शासक अब्दुर रहमान के साथ मिलकर ये बॉर्डर की लाइन खींचा था. रहमान को ब्रिटेन ने अपने हितों को साधने के लिए अफगानिस्तान की हुकूमत सौंपी थी. इतना ही नहीं डूरंड रेखा का बड़ा हिस्सा पीओजेके से होकर गुजरता है.

 

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इस रेखा को उस समय भारत और अफगानिस्‍तान के बीच सीमा तय करने के लिए बनाया गया था. उस समय पाकिस्तान भी भारत में ही शामिल था. साथ ही उस समय पूर्व में रूस की विस्तारवादी नीति से बचने के लिए ब्रिटिश साम्राज्य ने अफगानिस्तान का बफर जोन के रूप में इस्तेमाल किया था. इस रेखा को खींचते समय स्थानीय जनजातियों और भौगोलिक परिस्थितियों को पूरी तरह से ध्यान में नहीं रखा गया था, जिसके कारण यह विवादों में रही है.

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अफगानिस्तान में तालिबान का सत्ता में आने के बाद से डूरंड रेखा पर तनाव बढ़ा है. तालिबान इस रेखा को अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन मानता है. पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान दोनों पक्ष अपनी-अपनी सीमाओं को लेकर दावा करते हैं. यहीं से तालिबान द्वारा समर्थित आतंकवादी संगठन टीटीपी पाकिस्तान में हमले करते रहते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ जाता है. वहीं इस बार भी हो रहा है. तालिबान डूरंड रेखा को ‘काल्पनिक सीमा’ कहता है और दावा करता है कि यह इलाका अफगानिस्तान का हिस्सा है. इतना ही नहीं, तालिबान ने पाकिस्तान के कई इलाकों को अपना बताया है, जिसमें पेशावर तक शामिल है.

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