Pakistani President on Palestine Issue: पाकिस्तान को समझ नहीं आ रहा है कि वह इजरायल- हमास युद्ध में किस सिद्धांत पर काम करे. उसने पहले एक राष्ट्र के सिद्धांत की वकालत की थी, वहीं अब दो राष्ट्र सिद्धांत का राग अलापा है.
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Pakistani President Latest statement on Palestine Issue: पाकिस्तान के हुक्मरानों के लिए इजरायल-हमास युद्ध विदेश नीति के लिहाज से बड़ा धर्मसंकट बन रहा है. इस्लामिक देश होने की वजह से वहां की अधिकतर जनता और नेता फिलीस्तीन के साथ हैं और इजरायल को सारा इलाका खाली करवाना चाहते हैं. वहीं अमेरिका से आर्थिक मदद बंद होने के डर से वहां के हुक्मरान इस बात को सीधे तौर पर कह भी नहीं पाते. यह बात पाकिस्तानी राष्ट्रपति की ओर से गाजा पट्टी पर विवाद पर दो बार जारी किए गए बयानों से फिर स्पष्ट हो गई है.
अपने बयान से क्यों पलट गए अल्वी?
पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी (Arif Alvi) ने फिलस्तीन समस्या के निपटारे के लिए ‘एक-राष्ट्र के समाधान’ का प्रस्ताव दिया था. जब इस पर विवाद शुरू हुआ तो अल्वी पलट गए. अब पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने बयान जारी करके कहा है कि इस्लामाबाद ‘दो राष्ट्र के समाधान’ के आधार पर इस जटिल मुद्दे के न्यायसंगत और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता है.
इस बैठक के बाद बदल गए सुर
समाचार पत्र ‘डॉन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अल्वी के रुख में रुख में यह बदलाव वाली मस्जिद अल-हरम के इमाम खतीब और सऊदी अरब के ‘सऊदी रॉयल कोर्ट’ के सलाहकार डॉ. सालेह बिन अब्दुल्ला हुमैद के साथ हुई बैठक के अगले दिन आया. उन्होंने यह बैठक गुरुवार को की थी.
‘दो राष्ट्र समाधान के हों प्रयास’
पाकिस्तानी राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक,‘राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी (Arif Alvi) ने दोहराया है कि पाकिस्तान ‘दो राष्ट्र समाधान’ के आधार पर फिलस्तीन मुद्दे के उचित और शांतिपूर्ण समाधान का दृढ़ता से समर्थन करता है. उन्होंने कहा है कि दुनिया को फलस्तीनी लोगों के दर्द का एहसास करना चाहिए और गाजा में इजराइली अत्याचारों को खत्म करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए.’
इससे पहले क्या कहा था?
बताते चलें कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी (Arif Alvi) ने 11 नवंबर को फिलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ टेलीफोन पर बात की थी. उस बातचीत में आरिफ अल्वी ने इजराइल-फलस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए ‘एक राष्ट्र के समाधान’ का सुझाव दिया था. हालांकि बाद में राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से मीडिया को संशोधित विज्ञप्ति जारी की गई थी, जिसमें एक राष्ट्र के सुझाव का कोई उल्लेख नहीं था.
(एजेंसी भाषा)