IMF की शर्तों से बीच मझधार में फंसा Pakistan, आगे कुआं-पीछे खाई जैसे बने हालत!
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IMF की शर्तों से बीच मझधार में फंसा Pakistan, आगे कुआं-पीछे खाई जैसे बने हालत!

Economic Crisis In Pakistan: आई. एम. एफ. (IMF) की शर्तों को मानना पाकिस्तान के लिए और भी ज्यादा भारी पड़ सकता है लेकिन अगर पाकिस्तान इन शर्तों को नहीं मानता है तो उसे फंड इकट्ठा करने में दिक्कत होगी.

फाइल फोटो

Pakistan Economic Crisis: दिवालिया होने के कगार पर खड़ा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान इन दिनों विदेशों के सामने हाथ फैलाए हुए हैं, आपको बता दें कि पाक की अर्थव्यवस्था इन दिनों भारी संकट का सामना कर रही है. दिन-प्रतिदिन यहां पर रोजमर्रा के सामानों के दाम बढ़ते जा रहे हैं. पेट्रोल-डीजल और खाने के सामान समेत कई जरूरी सामानों की कीमत आसमान छू रही है. गौरतलब है कि इन दिनों पाकिस्तान में आई एम एफ (IMF) का एक डेलिगेशन रुका हुआ है जो पाकिस्तान के आर्थिक हालातों का जायजा ले रहा है. पाकिस्तान को मुश्किल घड़ी से बाहर निकालने के लिए आई एम एफ (IMF) ने कर्ज देने की बात तो कही है लेकिन पड़ोसी मुल्क के आगे कई कठिन शर्तें रख दी हैं.

आपको बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान पीएम शहबाज शरीफ (Pakistan PM Shahbaz Sharif) के एक बयान के बाद पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले काफी तेजी से नीचे गिरा था. पाकिस्तान पीएम ने पेशावर में एक बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि यह समय पाकिस्तान के वित्त मंत्री और उनके टीम के लिए बहुत कठिन है जिसके बारे में उन्होंने आई एम एफ (IMF) को भी जानकारी दी थी. IMF ने पाकिस्तान के सामने कई शर्ते रखी जिनमें से एक शर्त है कि पाकिस्तान को अपनी रक्षा बजट में भारी कटौती करनी पड़ेगी. पाकिस्तान के अधिकारियों ने आई एम एफ डेलीगेशन के सामने कई आंकड़े पेश किए जिससे पता चलता है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की जितनी दिख रही है उससे ज्यादा संकट में है.

मीडिया रिपोर्ट बताते हैं कि पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ 5% से घटकर 1.5 % से लेकर 2% तक रहने का अनुमान है. वहीं पाकिस्तान में महंगाई दर की बात की जाए तो इस साल यह औसतन 12.5% से बढ़कर 29% तक पहुंच सकती है. आई एम एफ ने पाकिस्तान के सामने रक्षा बजट में कटौती से लेकर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने और बैंकों में विदेशी मुद्रा आय पर टैक्स लगाने की बात की है. अगर पाकिस्तान एक्साइज ड्यूटी बढ़ाता है तो वहां पर महंगाई और भी ज्यादा बढ़ जाएगी. आई. एम. एफ. की शर्तों को मानना पाकिस्तान के लिए और भी ज्यादा भारी पड़ सकता है लेकिन अगर पाकिस्तान इन शर्तों को नहीं मानता है तो उसे फंड इकट्ठा करने में दिक्कत होगी.

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