Pakistan Civil War: पाकिस्तान की अंतरिम वित्त मंत्री शमशाद अख्तर का कहना है कि सरकार आईएमएफ प्रोग्राम की जंजीरों से बंधी हुई है. उसे टैक्स को लागू करना है. बिजली और गैस दरों में और इजाफा करना है. ईंधन की कीमतों को बढ़ाना है और टैक्स आधार भी बढ़ाना है.
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Pakistan News: पाकिस्तान में संकट हर गुजरते दिन के साथ गहराता जा रहा है. हजारों लोग हाई टैरिफ और टैक्स को खारिज करते हुए अपने बिजली बिल जला रहे हैं. जहां हालात तेजी से काबू से बाहर हो रहे हैं, वहीं पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि उसके हाथ पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बंधे हैं. आईएमएफ की सहमति के बिना वह कोई राहत नहीं दे सकती.
पाकिस्तान की अंतरिम वित्त मंत्री शमशाद अख्तर का कहना है कि सरकार आईएमएफ प्रोग्राम की जंजीरों से बंधी हुई है. उसे टैक्स को लागू करना है. बिजली और गैस दरों में और इजाफा करना है. ईंधन की कीमतों को बढ़ाना है और टैक्स आधार भी बढ़ाना है.
'आयात निर्भर देश है पाकिस्तान'
अंतरिम वित्त मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद डॉ. शमशाद ने पहली पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा कि पाकिस्तान एक आयात-निर्भर देश है और कमोडिटी की कीमतों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि हमारे पास राजकोषीय स्थान नहीं है और सब्सिडी के लिए कोई जगह नहीं है, जो लोगों को नुकसान पहुंचाने वाला है - चाहे वह ईंधन की कीमतों के रूप में हो या बिजली बिल के रूप में.
उन्होंने आगे कहा कि हमें ग्लोबल मार्केट में ऊंची कीमतों और सब्सिडी के लिए किसी भी राजकोषीय स्थान की उपलब्धता की कमी के संबंध में बिजली और ईंधन की कीमतों में और इजाफा करना होगी. हमारे पास अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम पर टिके रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
बड़ी बात यह है कि उनका बयान आईएमएफ प्रोग्राम पर मौजूदा सरकार की निर्भरता और लोगों के सामने अपनी बेबसी जताने की उनकी मजबूरी को दिखाता है. लोग बिजली के बढ़ते बिलों, ईंधन की बढ़ी कीमतों और लगाए गए टैक्स से गुस्से में हैं.
पाकिस्तान के सभी हिस्सों में प्रदर्शन
पाकिस्तानी हर दिन देश के सभी हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, सरकार की नीतियों को खारिज कर रहे हैं और अपने बिलों का भुगतान करने से इनकार कर रहे हैं.
रावलपिंडी में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हम अपने बिलों का भुगतान नहीं करेंगे. हम बिलों को नामंजूर करते हैं. हम इन बिलों और इस सरकार को जला देंगे. उन्होंने हमारे लिए महंगाई के जरिए जीवित रहना असंभव बना दिया है. कोई काम नहीं है, कोई व्यवसाय नहीं है, कोई नौकरियां नहीं हैं और आम आदमी अब आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर है.'
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, 'लोगों ने आत्महत्या करना शुरू कर दिया है. क्या यह सरकार चाहती है कि हम उन्हें टैक्सेज और बिलों का भुगतान करें और अपने बच्चों और परिवारों को भूखा छोड़ दें? वे विलासिता, मुफ्त बिजली और ईंधन का मजा लेते हैं. इस तरह के टैक्स, बिलों और कीमतों में बढ़ोतरी करके हमें अपनी कब्रों में धकेल रहे हैं. हम इसे अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे.'
सरकार करेगी IMF से बात
वहीं, सरकार ने लोगों के विरोध-प्रदर्शनों के कारण तेजी से बिगड़ते हालातों पर ध्यान दिया है. जनता के गुस्से के बारे में जानकारी देने के लिए सरकार ने IMF से संपर्क करने का फैसला लिया है.
क्या बोले एक्सपर्ट्स
सीनियर पॉलिटिकल एनालिस्ट अदनान शौकत ने कहा, 'सरकार को इस स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता खोजना होगा, इससे पहले कि यह गृहयुद्ध में बदल जाए. इतनी बड़ी तादाद में लोगों के बिल न चुकाने से सरकार के कलेक्शन को भी बड़ा झटका लगेगा, जिससे पहले से ही खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होगा.
आईएमएफ को इसे समझना होगा और पाकिस्तान को इससे बाहर निकालना होगा. वरना लोग मामलों को अपने हाथों में लेंगे और देश कुछ ही दिनों में बिखर जाएगा.'
दूसरी तरफ सितंबर महीने की शुरुआत के साथ, सरकार आईएमएफ के लिए अपनी प्रतिबद्धता के मुताबिक ईंधन की कीमतों में एक और इजाफे की तैयारी कर रही है.
अगर ऐसी घोषणा की जाती है तो पहले से ही नाराज और विरोध कर रही जनता आगबबूला हो सकती है. व्यापारियों, कारोबारी समुदाय और बड़े पैमाने पर जनता ने सरकार की कार्रवाईयों का कड़ा विरोध करने और जरूरत पड़ने पर देश को ठप करने की धमकी दी है, जब तक सरकार बढ़े हुए टैक्स, बढ़ी हुई ईंधन कीमतों को वापस नहीं लेती और भारी भरकम बिलों पर राहत नहीं देती है.
(इनपुट-IANS)