Mohammad Ali Jinnah Married Life: मोहम्मद अली जिन्नाह की प्रेम कहानी और फिर उनकी शादीशुदा जिंदगी पर कुछ किताबें भी छप चुकी हैं. मोहम्मद अली जिन्नाह 16 साल के थे जब उनकी पहली मुलाकात रत्नबाई पेटिट से हुई जो आगे चलकर उनकी पत्नी बनी.
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Mohammad Ali Jinnah: पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्नाह इतिहास की एक ऐसी शख्सियत है जिन्हें लेकर कभी एक राय काम नहीं हो सकी है. जहां बहुतों की नजर में वह भारत का बंटवारा करवाने वाले शख्स हैं वहीं पाकिस्तान में उन्हें सर्वोच्च नेता के तौर पर देखा जाता है. इतिहासकारों, जीवनीकारों और बुद्धिजीवियों में उन्हें लेकर बहस कभी नहीं थमी. राजनीति से अलग निजी जिंदगी में हमें उनके अलग-अलग रंग दिखते हैं.
मोहम्मद अली जिन्नाह की प्रेम कहानी और फिर उनकी शादीशुदा जिंदगी में भी लोग बहुत दिलचस्पी लेते हैं. इस विषय पर कुछ किताबें भी छप चुकी हैं. उनकी पत्नी रत्नबाई पेटिट जो रत्ती जिन्नाह के नाम से जानी जाती थी उनकी जिंदगी में जब आई तो दोनों की उम्र के बीच बड़ा फासला था. रत्ती तब सिर्फ 16 साल की थी जबकि वहीं जिन्नाह 40 साल के हो चुके थे.
घरवालों के विरोध के बाद भी की शादी
दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी लेकिन रत्ती के घरवालों को यह रिश्ता रास नहीं आया. हालांकि रत्ती के घरवालों का विरोध दोनों को मिलने से नहीं रोक पाया. रत्ती ने अपना घर छोड़ दिया और दोनों ने शादी कर ली.
हालांकि दोनों की शादी सफल नहीं. कुछ समय तक दोनों के रिश्तों में गर्महाट बनी रही लेकिन फिर दूरियां आने लगी. जिन्नाह का रूखा व्यवहार, उनकी बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों की वजह से वह रात को देर से घर लौटते. धीरे-धीरे रत्ती को यह सब बहुत बुरा लगने लगा.
रिश्तों के बीच आई जिन्नाह की बहन
बताया जाता है कि दोनों के रिश्तों में आई दरार का एक बड़ा कारण जिन्नाह की छोटी बहन फातिमा जिन्नाह थी. फातिमा जिन्नाह के बहुत करीब थी रत्ती के घर में आने से पहले तक उऩका ही दबदबा घर में चलता था. बताया जाता है कि रत्ती और फातिमा के बीच बिल्कुल नहीं जमी. रत्ती का आना फातिमा को अपने एकाधिकार पर चोट जैसा लगा.
1928 में रत्ती जिन्नाह से अलग रहने लगी
साल 1928 में रत्ती ने फातिमा से अलग होने का फैसला कर लिया. वह ताज होटल के कमरे में रहने लगी. जिन्नाह और रत्ती की इकैलौती संतान – बेटी दीना ने भी अपनी नानी के पास जाने का फैसला किया. फातिमा मुस्लिम लीग की एक एक्टिव मेंबर बन गई और जिन्नाह की सियासत और वकालत के काम में व्यस्तता बढ़ने लगी.
रत्ती का 20 फरवरी 1929 को देहांत हो गया. उनका जन्म भी 20 फरवरी को ही हुआ था. रत्ती के जाने के बाद फातिमा का जिन्नाह की सोच और जिंदगी पर पूरी तरह से एकाधिकार हो गया.
आगे चलकर जिन्नाह ने मुसलमानों के लिए एक अलग देश ‘पाकिस्तान’ की मांग की और 14 अगस्त 1947 को उऩका यह सपना पूरा भी हो गया.
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