Indian Navy Exercise: धरी रह गई चतुर चीन की चालाकी! अरब सागर में भारत के एक्शन से क्यों सहमा ड्रैगन?
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Indian Navy Exercise: धरी रह गई चतुर चीन की चालाकी! अरब सागर में भारत के एक्शन से क्यों सहमा ड्रैगन?

INS Vikramaditya Action: चतुर चीन (China) भारत को हमेशा धोखा देने की कोशिश में लगा रहता है, लेकिन चीन की चाल को भांपते हुए भारत के दो योद्धाओं ने अरब सागर में ऐसा एक्शन दिखाया है कि चीन की चतुराई धरी रह गई है.

Indian Navy Exercise: धरी रह गई चतुर चीन की चालाकी! अरब सागर में भारत के एक्शन से क्यों सहमा ड्रैगन?

Naval Exercises Of India: चीन (China) के सीने पर सांप नहीं, ड्रैगन लोट लगा रहा है क्योंकि चीन ने समुद्री रास्ते से भारत के खिलाफ कोई हिमाकत की तो उसकी खैर नहीं. भारतीय नौसेना ने अरब सागर (Arbian Sea) में अपने दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर्स के साथ एक बड़ा रणनैतिक अभ्यास किया है.  INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत की अगुवाई में नेवी की एक पूरी टुकड़ी युद्धाभ्यास में जुटी थी और दिल चीन का बैठा जा रहा था. आपको बता दें कि पहली बार किए गए ऐसे अभ्यास में नौसेना ने अपने 35 फाइटर जेट्स के अलावा कई दूसरे एयरक्राफ्ट्स, सबमरीन और जंगी जहाजों को भी अभ्यास में उतारा.

अरब सागर में उतरा नौसेना का बेड़ा

खास बात ये है कि एयरक्राफ्ट कैरियर जब भी समुद्र में जाता है तो अकेले नहीं होता बल्कि उनके साथ सबमरीन और दूसरे जंगी जहाज भी होते हैं. इस तरह ये एक पूरा बेड़ा बन जाता है जिसे कैरियर बैटल ग्रुप यानी CBG कहते हैं. एक की कमान रूसी मूल के INS विक्रमादित्य के पास थी तो दूसरे को INS विक्रांत लीड कर रहा था. दोनों कैरियर करीब 44,000 टन वजनी हैं.

हिंदुस्तान से होशियारी चीन पर भारी!

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा कि हिंद महासागर और उससे आगे समुद्री सुरक्षा व शक्ति को बढ़ाने की भारतीय नौसेना की कोशिशों में यह अभ्यास एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. भारतीय सेना ने अपने पुराने एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य के साथ पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर तैनात करके अरब सागर में अभ्यास किया. दोनों कैरियर्स के साथ सबमरीन और दूसरे जहाज भी थे जिन्होंने भारत की समुद्री सीमा से परे जाकर अरब सागर में अभ्यास किया. यही वजह है कि चीन की चालाकी पर हिंदुस्तान ने होशियारी से जवाब दिया है.

भारत की ताकत से चीन सावधान!

जान लें कि आईएनएस विक्रमादित्य को रूस से खरीदा गया है और इस पर मिग-29 फाइटर जेट्स के अलावा कामोवा, चेतक, चीता और स्वदेशी हेलीकॉप्टर एएलएच की तैनाती होती है. आईएनएस विक्रांत को पिछले साल नौसेना में शामिल किया गया है. इसी साल इस पर मिग-29 और स्वदेशी फाइटर जेट एलसीए की लैंडिंग और टेकऑफ की शुरुआत की गई है.

पिछले हफ्ते ही आईएनएस विक्रांत पर एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर रोमियो की रात में लैंडिंग की गई. आपको ये भी बता दें कि कुछ और परीक्षणों के बाद आईएनएस विक्रांत सभी किस्म की उड़ानों के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा. 45,000 टन के आईएनएस विक्रांत पर मिग-29 के अलावा स्वदेशी एलसीए की तैनाती की जा सकती है. भारतीय नौसेना के पास मौजूद सभी हेलीकॉप्टर्स को इस पर तैनात किया जा सकता है.

भारतीय नौसेना के सामने चीन की नौसेना की बड़ी चुनौती है. चीन की नौसेना ने दो एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल कर लिए हैं और दो अगले चार साल में शामिल हो जाएंगे. चीन अपनी नौसेना में 10 एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल करने की तैयारी में है. भारतीय नौसेना भी इस चुनौती का सामना करने के लिए तेजी से तैयार हो रही है और खुद को आधुनिक बना रही है. कुछ ही दिनों बाद पीएम मोदी अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं इससे पहले चीन को सख्त संदेश देना भी जरूरी है ताकि वो समुद्री रास्ते से कोई चाल ना चल सके.

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