China Taiwan Tension: नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन और ताइवान के बीच युद्ध जैसे हालात हो गए हैं. अगर इन दोनों देशों के बीच लड़ाई होती है तो भारत समेत दुनिया पर क्या असर पड़ेगा? आइए समझते हैं...
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China Taiwan Tension: चीन की तमाम धमकियों के बावजूद अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान दौरा कर आईं. 19 घंटे तक पेलोसी ताइवान के राष्ट्रपति और वहां के अधिकारियों से मिलती रहीं और जब तक ये मुलाकात होती रही चीन को मिर्ची लगती रही. धमकियों के बीच पेलोसी की ये यात्रा, इस बात का सबूत है कि अमेरिका को चीन की चेतावनियों से कोई फर्क नहीं पड़ता. पेलोसी ने ताइवान को भरोसा दिलाया कि अमेरिका उनके साथ है. पेलोसी के दौरे से बौखलाए चीन ने ताइवान में कई जगहों पर अपने फाइटर जेट और युद्धपोतों की तैनाती कर दी है.
पूरी दुनिया को लगेगा झटका
भारत में 70 करोड़ से ज्यादा लोग मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. 20 करोड़ से ज्यादा लोग लैपटॉप और कार का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि अगर ये युद्ध हुआ तो मोबाइल, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल सब पर संकट गहरा जाएगा. दुनिया भर में हजारों कंपनियां बंद होने के कगार पर पहुंच जाएगी. सैकड़ों कंपनियों को अरबों का नुकसान होगा. दरअसल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में जिस चिप या फिर सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है, वो ताइवान में तैयार होता है. दुनिया में सेमीकंडक्टर से होने वाली कुल कमाई का 54 फीसदी हिस्सा ताइवान की कंपनियों के पास है और अगर ताइवान में उत्पादन बंद हो गया, तो झटका पूरी दुनिया को लगेगा.
सेमीकंडक्टर के मामले में दुनिया की फैक्ट्री है ताइवान
चीन, भूगोल के हिसाब से दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है और ताइवान की गिनती दुनिया के सबसे छोटे देशों में की जाती है. अर्थव्यवस्था के हिसाब से दोनों देशों की तुलना कहीं नहीं ठहरती, लेकिन इसके बावजूद इन दोनों देशों के बीच जब युद्ध का खतरा मंडराने लगा है, तो दुनिया एक अलग टेंशन में है. पहले ही ऑटो से लेकर स्मार्टफोन इंडस्ट्री चिप शॉर्टेज से परेशान हैं. ताइवान में स्थिति बिगड़ने पर संकट और गहरा हो जाएगा, क्योंकि ये छोटा देश सेमीकंडक्टर के मामले में दुनिया की फैक्ट्री है.
इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान महंगे होना तय
नैंसी के दौरे के बाद जो स्थिति उभरकर सामने आई है, वो स्थिति अगर यूं ही बनी रही और अगर ताइवान पर हमला हुआ तो इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर, स्मार्टफोन, कारों की कीमतें बढ़नी तय है. हो सकता है कि बाजार से इलेक्ट्रानिक सामान गायब हो जाएं. कोरोना महामारी के दौरान जब ताइवान से सप्लाई चेन टूट गया था, तो दुनिया को ये एहसास हो गया था कि ताइवान का बाजार में ना होने का मतलब क्या होता है.
कई बड़ी कंपनियां ताइवान से लेती हैं सेमीकंडक्टर
दुनिया में सेमीकंडक्टर से होने वाली कुल कमाई का 54 फीसदी हिस्सा ताइवान की कंपनियों के पास है. इसमें सबसे ज्यादा योगदान ताइवान की कपंनी TSMC का ही रहा. TSMC अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी है. Apple, Qualcomm, Nvidia, Microsoft, Sony, Asus, Yamaha, Panasonic जैसी दिग्गज कंपनियां उसकी क्लाइंट हैं.ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, दुनिया का 92 फीसदी एडवांस सेमीकंडक्टर का उत्पादन करती है.
चीन सेमीकंडक्टर के मामले में ताइवान से मीलों पीछे हैं, सेमीकंडक्टर के बाजार को अमेरिका भी समझता है और चीन भी. इसलिए दोनों देश इस छोटे से देश के लिए आमने-सामने हैं. अगर चीन, ताइवान पर हमला करता है, तो तरह पूरी दुनिया के लिए चिप का बाजार बंद हो जाएगा और पहले से ही महंगाई से जूझ रही दुनिया के सामने एक नया संकट खड़ा हो जाएगा.
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