New army chief of Pakistan: पुलवामा की साजिश रचने वाले भारत के 'दुश्मन' को पाकिस्तान ने दिया तोहफा, बनाया सेना का मुखिया
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New army chief of Pakistan: पुलवामा की साजिश रचने वाले भारत के 'दुश्मन' को पाकिस्तान ने दिया तोहफा, बनाया सेना का मुखिया

Asim Munir new army chief of Pakistan: मुनीर को कश्मीर का एक्सपर्ट भी माना जाता है. वो कश्मीर के चप्पे-चप्पे को बारीकी से जानते और समझते हैं. आईएसआई के चीफ के तौर पर नियुक्त होने से पहले मुनीर उत्तरी इलाके के कमांडर और मिलिट्री इंटेलीजेंस के डीजी भी रह चुके हैं.

New army chief of Pakistan: पुलवामा की साजिश रचने वाले भारत के 'दुश्मन' को पाकिस्तान ने दिया तोहफा, बनाया सेना का मुखिया

पाकिस्तान ने आसिम मुनीर के रूप में अपने सेना के नए मुखिया का चुनाव कर लिया है. गुरुवार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने खुफिया एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख और वरिष्ठतम लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को देश का नया सेना प्रमुख नियुक्त किया. पाकिस्तानी सरकार के लिहाज से सेना प्रमुख का पद सबसे अहम होता है, क्योंकि प्ररोक्ष रूप से अधिकतर फैसले सेना मुख्यालय से ही लिए जाते रहे हैं. पाकिस्तान के सेना प्रमुख का चयन हो और भारत का उससे कोई लिंक न निकले... ऐसा हो नहीं सकता. ऐसे में यह जानना और भी दिलचस्प हो जाता है कि आसिम मुनीर का भारत के साथ कैसा कनेक्शन रहा है, वो किस पृष्टभूमि से आते हैं और अभी तक उन्होंने किन जिम्मेदारियों को निभाया है?

आसिम मुनीर का नाम आते ही सबसे पहले पुलवामा हमला याद आता है. इस आतंकी हमले के दौरान आसिम मुनीर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के मुखिया थे. मुनीर को पुलवामा का मास्टर माइंड तक बताया गया. कहा जाता है कि तत्कालीन आईएसआई चीफ मुनीर ने पर्दे के पीछे खड़े रहकर हमले का पूरा खाका तैयार किया था. पुलवामा हमले के दौरान मुनीर पाकिस्तानी मिलिट्री के उस पैनल का अहम हिस्सा थे जो पाक की तरफ से निर्णय ले रहा था.

भारत विरोधी सुरक्षा नीतियों के लिए जाने जाने वाले मुनीर की भूमिका पुलवामा तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि भारत की तरफ से किए गए बालाकोट स्ट्राइक के बाद के पाकिस्तानी नीतियों और फैसलों में भी मुनीर ने अहम भूमिका निभाई थी. यही वो समय था जब तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान मुनीर से नाराज हो गए और आर्मी चीफ बाजवा से कहकर तुरंत उन्हें आईएसआई प्रमुख के पद से हटवा दिया था.

बाजवा ने दोस्त को दिया तोहफा
पाकिस्तान के अगले सेना प्रमुख आसिम मुनीर को बाजवा का करीबी दोस्त माना जाता है. इस बात को सही साबित करने का सबसे बड़ा उदाहरण उन्हें सेना प्रमुख के पद के लिए नामित करना है. साल 2018 में बाजवा के कहने पर ही मुनीर को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का प्रमुख नियुक्त किया गया था. यही नहीं, एक समय ऐसा भी था कि जब बाजवा एक्स कोर में कमांडर के पद पर तैनात थे तब वहां मुनीर की तैनाती ब्रिगेडियर के पद पर थी. 

मुनीर को सेना प्रमुख बनने की रेस में इसलिए भी सबसे आगे माना जा रहा था क्योंकि वो वर्तमान में सबसे सीनियर जनरल हैं. फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट से आने वाले मुनीर अभी क्वार्टरमासट्र जनरल के पद पर कार्यरत हैं. इस पद पर उनका कार्यकाल 27 नवंबर को खत्म हो रहा है. वहीं, सेना प्रमुख बाजवा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है.

कश्मीर का एक्सपर्ट
मुनीर को कश्मीर का एक्सपर्ट भी माना जाता है. वो कश्मीर के चप्पे-चप्पे को बारीकी से जानते और समझते हैं. आईएसआई के चीफ के तौर पर नियुक्त होने से पहले मुनीर उत्तरी इलाके के कमांडर और मिलिट्री इंटेलीजेंस के डीजी भी रह चुके हैं. इंटेलीजेंस के क्षेत्र में उन्हें महारत हासिल है. जैश ए मोहम्मद ने पुलवामा हमला करने से पहले मुनीर की मदद से पूरा प्लान तैयार किया था, क्योंकि वो पुलवामा और उसके आस-पास के इलाकों से बहुत अच्छे से वाकिफ थे.

भारत को दी थी धमकी
पुलवामा हमले के बाद भारत ने सीधे और साफ तौर पर कह दिया था कि भारत आतंक विरोधी अभियान से पीछे नहीं हटेगा. इस पर मुनीर ने गीदड़ भभकी देते हुए कहा था कि भारत की तरफ से अगर एक मिसाइल आएगी तो जवाब में हम तीन मिसाइल दागेंगे.

कैसे होता है पाकिस्तान के आर्मी चीफ का चयन?
पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक सेना प्रमुख की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है. नियम है कि सेना में जो अधिकारी सबसे सीनियर होगा वो सेना प्रमुख बनने की रेस में सबसे आगे होगा. ऐसे में सीनियरिटी के हिसाब से एक लिस्ट पीएमओ को भेजी जाती है, जिसके बाद प्रधानमंत्री उन नामों में से किसी एक के नाम पर मुहर लगाते हैं. 

पीएम चाहें तो पूरी सूची को खारिज कर नए नाम पर मुहर लगा सकते हैं. पीएम द्वारा सिलेक्ट किए जाने के बाद नाम को राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है और अंतिम साइन राष्ट्रपति ही करते हैं. हालांकि, ये औपचारिकता मात्र होती है, क्योंकि राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री के फैसले पर मुहर लगाने के लिए बाध्य माना जाता है. पाकिस्तान में सेना को सबसे ज्यादा पावरफुल माना जाता है और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की रजामंदी पर ही सेना प्रमुख की कुर्सी पर किसी भी व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है.

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