पहले आपको बताते हैं इस सेब को ब्लैक डायमंड क्यों कहा जाता है. ब्लैक डायमंड इसलिए क्योंकि इसका रंग काला और बैंगनी होता है. इसकी पैदावार तिब्बत में होती है. तिब्बत की पहाड़ियों के अलावा इसकी खेती कहीं नहीं होती.
अब आपको यह सवाल परेशान कर रहा होगा कि आखिर इस काले सेब की खेती सिर्फ तिब्बत में ही क्यों होती है? तिब्बत में यह सेब नियू नाम से भी मशहूर है. इस सेब का रंग काला इसलिए होता है क्योंकि इसपर सूरज की रोशनी अन्य जगहों की तुलना में बेहद करीब से पड़ती है. तिब्बत देश के सबसे ऊंचें हिस्सों में गिना जाता है, ऐसे में यहां फसल और फल की खेती पर सूरज की किरणें सीधी पड़ती है. सूर्य की सीधी रोशनी और अल्ट्रावॉयलेट किरणों की वजह से ही इस सेब का रंग काला होता है. यह काला सेब इतना चमकदार होता है कि हर कोई इसकी तरफ खिंचा चला आता है.
अब इस सेब की कीमत की बात करते हैं. यह सेब अन्य सेब की तुलना में बेहद ऊंची कीमतों में बिकता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि सेहत के लिहाज से यह सेब में लाल सेब जैसा नहीं होता. लाल सेब इसकी तुलना में ज्यादा सेहतमंद होता है. काले सेब की कीमत इसके रंग के कारण है. लगभग 500 रुपये में एक सेब बिकता है.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक काले सेब की फसल तैयार होने में पेड़े लगाने के 8 साल बाद होती है. वहीं, लाल सेब की फसल पेड़ पर 4 से 5 साल में आने लगती है. 2015 में तिब्बत में काले सेब की खेती शुरू हुई थी. काला सेब पेड़ से तोड़ने के बाद सिर्फ दो महीने रखा जा सकता है.
गौर करने वाली बात यह है कि काले सेब की दुनिया भर में डिमांड है. आलम यह है कि तिब्बत में इसकी पैदावार होने के बावजूद इस काले सेब को तिब्बत के लोग ही नहीं खा पाते. इसकी फसल सीधे दूसरे देशों में निर्यात कर दी जाती है.
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