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Flower Farming News: राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य डूंगरपुर जिले में अब किसान पारंपरिक खेती छोड़कर मुनाफा देने वाली व्यवसायिक खेती पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही करके अपना जीवन सुधार रहे है. धुवाडीया गांव के रहने वाले तीन किसान भाइयों ने पारंपरिक खेती को छोड़कर गेंदे के फूलों की खेती कर रहे हैं और उससे अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं. फूलों का राजा भले ही गुलाब हो, लेकिन गेंदा के फूलों की भी कम अहमियत नहीं है. धार्मिक कार्यक्रमों से लेकर शादी व अन्य समारोह में भी गेंदा के फूलों की बड़ी जरूरत है. इसकी खेती किसानों को कम लागत और मेहनत में अच्छी कमाई दे रही है.
तीन भाइयों ने मिलकर शुरू की किसानी
यही कारण है कि अब डूंगरपुर जिले के किसानों को भी फूलों की खेती रास आने लगी है. इसी के तहत डूंगरपुर में ग्राम पंचायत सूरपुर के धुवाडीया गांव रहने वाले तीन भाइयों ने फूलों की खेती से सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं. धुवाडीया गांव के तीन भाई कोदर पटेल, कचरू पटेल और तेजपाल पटेल पहले गेहू, धान और मक्का जैसी पारंपरिक खेती करते आ रहे थे, लेकिन उन्हें मेहनत व लागत के मुकाबले कम लाभ मिल रहा था. जिसके चलते पारंपरिक खेती के प्रति उनकी निराशा बढ़ती ही चली गई. तीनों भाइयों ने कुछ अलग करने की ठानी और कोई नई फसल उगाने का मन बनाया.
इसी बीच उन्हें फूलों की खेती करने का विचार आया, जिसे गंभीरता से लिया. परिवार के सदस्यों ने भी इस काम में उनको समर्थन दिया. फिर उन्होंने गेंदे के फूलों की खेती करना शुरू की और आज गेंदे के फूलों की खेती से वे अच्छी आमदनी कमा कर रहे हैं. पारंपरिक फसलों की खेती की तुलना में मुनाफा कई गुना अधिक हो रहा है.
प्रतिमाह हो रही 90 हजार की कमाई
कोदर, कचरू और तेजपाल पटेल ने बताया कि वे तीनों मिलकर 5 बीगा जमीन पर फूलों की खेती करते हैं. पांच बीघा जमीन को उन्होंने तीन खेतों में बांट रखा है. एक खेत में दो दिन में 100 किलो फूल निकलते हैं. वहीं, 20-30 रुपए किलो की कीमत स्थानीय व्यापारी किसान के गांव आकर फूल खरीद ले जाते हैं. ऐसे में तीन खेतों से प्रतिमाह 90 हजार रुपये की कमाई तीनों किसान भाइयों की हो जाती है.
गांव के अन्य किसान भी करना चाहते हैं फूलों की खेती
बहरहाल, डूंगरपुर जिले के धुवाडीया गांव निवासी तीन किसान भाई पारंपरिक खेती को छोड़कर अब फूलों की खेती करते हुए अच्छी कमाई कर रहे है. विभिन्न आयोजनों में फूलों की मांग को देखते हुए खुद व्यापारी उन तक पहुंचकर फूल खरीद रहे हैं, जिससे किसानों को फूल बेचने के लिए भटकना भी नहीं पड़ता. वहीं इन किसानों की कमाई देखकर अब उनके गांव किसान भी फूलों की खेती करने को प्रेरित हुए.
रिपोर्ट: अखिलेश शर्मा
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