इस दुर्लभ बीमारी के चलते 30 सालों से नहीं बैठी ये महिला, दर्द सहकर खड़े रहने को है मजबूर
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इस दुर्लभ बीमारी के चलते 30 सालों से नहीं बैठी ये महिला, दर्द सहकर खड़े रहने को है मजबूर

Strange Disease: दुनिया में कई अजीबोगरीब बीमारियां हैं जिनसे बहुत सारे लोग सामान्य जीवन नहीं जी पाते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी दुर्लभ बीमारी के कारण 30 सालों से बैठ नहीं पाई है.

 

इस दुर्लभ बीमारी के चलते 30 सालों से नहीं बैठी ये महिला, दर्द सहकर खड़े रहने को है मजबूर

Women Unable To Sit From 30 Years: दुनिया में हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से परेशान है. जिससे उसके जीवन पर कई प्रभाव पड़ते हैं. लेकिन हर कोई अपने बल पर अपनी जिन्दगी जीना चाहता है यानी कम से कम चलना-दौड़ना, उठना-बैठना खुद कर सके. ज्यादातर इंसान इसी तरह अपनी जिन्दगी जी रहे हैं. लेकिन आज जिस महिला के बारे में हम बात कर रहे हैं, उसके लिए ये सामान्य सी दिनचर्या वाला जीवन किसी सपने से कम नहीं है. पोलैंड (Poland) की रहने वाली जोआना क्लिच पिछले 30 सालों से ऐसी बीमारी से जुझ रहीं हैं जिसके कारण सामान्य जीवन उन्हें सपने जैसा लगता है.. जोआना की उम्र 32 साल है. लेकिन 30 सालों से वो बैठ नहीं पाई हैं.

जोआना की मां ने बताई वजह

जोआना की मां ने बताया कि जोआना का जन्म ही ऐसी बीमारी के साथ हुआ है, जिसके चलते वो बैठ नहीं सकती है. उसकी मां ने बताया कि जोआना का कूल्हा और रीढ़ की हड्डी उनके शरीर का वजन नहीं उठा पाती है. Spinal Muscular Atrophy नाम की बीमारी के चलते उसे अपनी दिनचर्या के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है. उन्होंने कहा कि उनकी याद में जोआना 2 साल की उम्र में केवल एक बार ही बैठी थी. उसके बाद आजतक कभी बैठ नहीं पाई है. उन्होंने आगे कहा, 'अगर जोआना से पूछा जाए कि वो जिन्दगी से क्या चाहती हैं, तो उसका जवाब होगा कि बिना किसी के सहारे के अपनी जिन्दगी सामान्य तौर पर जी सके'.

'मैं सारी जिन्दगी लेटकर जीना नहीं चाहती' – जोआना

जोआना की मां ने बताया, '21 साल की उम्र तक वो खुद को काफी हद तक खुद ही सम्भाल लेती थी. अपने काम के लिए वह दूसरे देश भी जाती थी. लेकिन कमजोर शरीर के कारण अब उसे हर काम में किसी का सहारा लेना पड़ता है. जिसके कारण वो अधिक चिंता और गुस्सा करती है'. 

जोआना अपनी बीमारी को लेकर कहती है कि 'मैं सारी जिन्दगी लेटकर जीना नहीं चाहती. मुझे अपने बल पर कुछ करना है. लेकिन मुझे ये भी पता है कि मेरी हालत आगे और भी खराब हो जाएगी. लेकिन मैं कभी सामान्य जीवन जीने की चाह नहीं छोडूंगी'.

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