ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्त्रोत है सूर्यदेव और प्राणियों में बल की ऊर्जा भी इनकी किरणों से ही आती है. वैज्ञानिकों ने इसे विटामिन डी कहा है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए बहुत जरूरी है.
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नई दिल्लीः कोरोना संकट के बीच रविवार 21 जून को सारा विश्व छठवीं बार योग दिवस मनाने जा रहा है. इस बार का योग दिवस बाहर मैदानों में नहीं, बल्कि घर हॉल, खुली छत या लॉन में होगा. कोरोना के संक्रमण के बीच यही इसका उद्देश्य भी है कि घर पर रहकर स्वस्थ जीवन शैली के अधिक से अधिक अवसर अपनाएं जाएं. कोरोना के खिलाफ 21 जून के इस महायज्ञ में विश्व भर से स्वस्थ जीवन के लिए आहुति पड़ेगी.
सूर्य नमस्कार स्वस्थ सम्पूर्ण व्यायाम है
हालांकि एक चिंता यह है कि योग-आसन जैसे अभ्यास (जो अगर अधिक कठिन हों तो) प्रशिक्षण के निर्देश व निगरानी में किए जाने चाहिए यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो गलत स्थिति के कारण लाभ के बजाय हानि हो सकती है. इस स्थिति के लिए ऑनलाइन योगा अभ्यास किया जा सकता है.
यह सुलभ नहीं हो तो भी शरीर के सभी अंगो का व्यायाम महज 20 मिनट में भी किया जा सकता है. यह संभव हो सकता है सूर्य नमस्कार से.
पृथ्वी पर जीवन का आधार हैं सूर्य
भगवान भुवन भास्कर आदि देव हैं और सभी देवताओं के प्रतिनिधि के तौर पर प्रतिदिन दर्शन देते हैं. सूर्य को दिया गया अर्घ्य सभी देवताओं व भगवान विष्णु को अपने आप समर्पित हो जाता है. इसके अलावा भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सूर्य ही है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है.
ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्त्रोत है सूर्यदेव और प्राणियों में बल की ऊर्जा भी इनकी किरणों से ही आती है. वैज्ञानिकों ने इसे विटामिन डी कहा है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए बहुत जरूरी है.
प्राचीन ऋषियों ने इसे किया था सिद्ध
इन्हीं सब लाभ प्राप्ति के लिए भारतीय मनीषा में शारीरिक व्यायाम के साथ दंडवत प्रणाम की शैली में अलग-अलग स्थितियों में सूर्य को नमस्कार करने की पद्धति विकसित की गई है. आयुर्वेद में इस सूर्य नमस्कार व्यायाम के नाम से जगह मिली. महर्षि च्यवन, ऋषि कणाद और इससे भी पहले श्रीराम के गुरु विश्वामित्र सूर्य नमस्कार की योग विधि को सिद्ध कर चुके थे.
महर्षि च्यवन को अश्वनी कुमारों ने च्यवनप्राश और सूर्यनमस्कार के जरिए ही युवा कांति और तेज नेत्र ज्योति प्रदान की थी.
13 मंत्रों की विशेष धरोहर है सूर्यमनस्कार
सूर्य नमस्कार 13 मंत्रों की शक्तिशाली और विशेष धरोहर हैं. इन मंत्रों में सूर्य के पर्यायवाची नामों के जरिए उन्हें प्रणाम निवेदित किया जाता है. इन सभी 13 मंत्रों को एक-एक कर उच्चारण करते हैं और फिर 12 अलग-अलग स्थितियों की आसन शैली को करते जाते हैं. एक मंत्र बोलकर 12 स्थितियों में सूर्य को प्रणाम करना होता है.
इस तरह तेरहों मंत्रों को बोलकर उसके बाद 12 अलग-अलग आसन किए जाते हैं. इन सभी मंत्रों और इनके नाम के तात्पर्य पर डालते हैं एक नजर-
ऐसे करें सूर्य नमस्कार
यह हैं लाभ
सूर्य नमस्कार की उपरोक्त बारह स्थितियां हमारे शरीर को संपूर्ण अंगों की विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती हैं. यह पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है.
इसके अभ्यासी के हाथों-पैरों के दर्द दूर होकर उनमें सबलता आ जाती है.
गर्दन, फेफड़े तथा पसलियों की मांसपेशियां सशक्त हो जाती हैं, शरीर की फालतू चर्बी कम होकर शरीर हल्का-फुल्का हो जाता है.