कोरोना वायरस से जूझने के लिए क्वारंटीन यानी प्रभावित लोगों को अलग थलग कर देने के सिवा कोई और चारा नहीं है. लेकिन अक्सर खबर आ रही है कि लोग क्वारंटीन का उल्लंघन कर रहे हैं. इसके लिए कर्नाटक सरकार ने एक एप्प विकसित किया है.
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बेंगलुरु: कोरोना वायरस के बढ़ते कहर को देखते हुए अब सरकारों ने और सख्त कदम उठाने का फैसला किया है. जिन लोगों को होम क्वारंटीन किया गया है, वो वास्तव में घर पर रहते हैं या नहीं? कर्नाटक सरकार अब ये जांचने में लग गई है.
ऐप से भेजनी होगी सेल्फी
कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के एस सुधाकर ने कहा है कि होम क्वारंटाइन किए गए सभी लोगों को हर घंटे अपनी सेल्फी सरकार को एक एप के माध्यम से भेजनी पड़ेगी. इस ऐप का नाम क्वारंटाइन वॉच है. गूगल प्ले स्टोर पर ये ऐप उपलब्ध है.. जिसे क्वारंटाइन व्यक्ति को इस्तेमाल करना है.
इस तरह करें प्रयोग
इस ऐप में कुछ नंबर दिए गए हैं. जिसमें ये बताया गया है कि आपात स्थिति में कहां कहां कॉल करना है. इस ऐप में क्वारंटीन में भेजे व्यक्ति को अपना नाम लिखना है. दूसरे पेज में क्वारंटाइन की अवधि दर्ज करानी है. इसमें सबसे अहम जानकारी है क्लिक एंड फोटो. यानी इस एप पर आने के बाद हर एक घंटे पर अपनी फोटो खींच कर इस ऐप पर लोड करनी है.
लोकेशन भेजनी भी है जरुरी
कर्नाटक सरकार की तरफ से जारी इस आदेश में यह कहा गया है कि सेल्फी या फिर तस्वीर को जीपीएस लोकेशन ऑन करने के साथ खींचकर भेजना होगा. जिससे जगह का पता चल सके. होम क्वारंटाइन हो चुके व्यक्ति की तरफ से हर घंटे भेजे जाने वाली फोटो को सरकार की वैरिफिकेशन टीम चेक करेगी. अगर इसमें कुछ अनिमितता पाई गई तो उसे बडे क्लारंटाइन सेंटर में भेजा जाएगा.
इस ऐप के बारे में सेक्रेटरी एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स और वॉर रूम कोविड 19 इंचार्ज मुनीश मुदगिल ने बताया कि 'तकरीबन 40 हज़ार लोग शुरू में होम क्वारंटाइन थे. जो विदेश से आए थे. उनमें से 30 हज़ार को बैंगलोर में हैं. जिनको रोज जा कर घर पर चेक करना संभव नहीं था. इस ऐप के जरिए उनको हर घंटे अपनी सेल्फी भेजने को कहा जाता है. जब सेल्फी भेजेंगे तो GPS आएगा'.
कर्नाटक में पांव पसार रहा है कोरोना
कर्नाटक में अब तक कोरोना वायरस के 83 मामले सामने आ चुके है, जिनमें से 3 की मौत हो चुकी है. इसमें से 5 रिकवर हो चुके हैं. कर्नाटक में कोरोना वायरस के कुल पॉजिटिव केसों में से 25 प्रतिशत संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में आने की वजह से हुए. इन प्राइमरी कॉन्टैक्ट्स को घर में क्वारंटीन करना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. जिसके चलते सरकार ने ऐप आधारित सेल्फी लेने का फैसला किया है.