इस कंद की खेती से कुछ ही महीनों में मिलेगी बढ़िया पैदावार, किसान बीजों के जरिए करें अतिरिक्त कमाई
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इस कंद की खेती से कुछ ही महीनों में मिलेगी बढ़िया पैदावार, किसान बीजों के जरिए करें अतिरिक्त कमाई

Carrot Seed Production: गाजर की खेती से किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं, बीजों को बेचकर अच्छी कीमत पर बेचकर अतिरिक्त कमाई होगी. अगर आप भी गाजर के बीजों का उत्पादन करना चाहते हैं, तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा. 

इस कंद की खेती से कुछ ही महीनों में मिलेगी बढ़िया पैदावार, किसान बीजों के जरिए करें अतिरिक्त कमाई

Carrot Seed Production: गाजर एक ऐसी फसल है जिसकी पैदावार कुछ ही समय में मिलने लगती है. इसकी खेती से किसान कुछ ही महीनों में बढ़िया उत्पादन करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. दरअसल, गाजर एक महत्वपूर्ण कंद फसल होती है, लेकिन कई बार किसानों को सबसे बेहतरीन बीज उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. ऐसे में यह आपके लिए एक शानदार अपॉर्चुनिटी साबित हो सकती है.

आप बीजों की खेती कर इसका बिजनेस कर सकते हैं. ऐसे में किसान गाजर की फसल के साथ ही खुद ही बीजों का उत्पादन कर सकते हैं. इससे उन्हें अपनी फसल के लिए भी उन्नत क्वालिटी के बीज मिल सकेंगे. यहां जानें कि आप कैसे गाजर बीज उत्पादन की कर सकते हैं...

बीज उत्पादन के तरीके
गाजर में बीज उत्पादन के दो तरीके होते हैं. एक तो बीजों से बीज तैयार किए जाते हैं, जबकि दूसरा तरीका यह है कि पहले सीड से कंद तैयार कर लिए जाते हैं, उसके बाद उससे बीज तैयार किए जाते हैं. कंद से बीज तैयार करते हैं तो सबसे पहले बीजों से नर्सरी तैयार की जाती है. इसके बाद तैयार पौधों को खेत की मेड़ों पर लगाया जाता है. इस तरह से उनमें कंद का विकास बहुत बेहतरीन होता है.

कंद अच्छे बनने के बाद कुछ बातों का रखें विशेष ध्यान 
कंद सर्पिल आकार के और एक जैसे होने चाहिए. इसमें एक बात विशेष ध्यान रखें कि जिनकी एक साथ दो जड़ें निकली हों उनका चयन नहीं करते हैं.  इसका सही तरीका है कि गाजर की जड़ों का नीचे से दो इंच भाग और ऊपर से दो इंच हरा भाग लिया जाता. 

कंदों की रोपाई के दौरान इन बातों का रखें ख्याल
मेड़ों की चौड़ाई और लंबाई का खास ध्यान रखना जरूरी है. इसके लिए मेड़ की चौड़ाई चार फीट, दोनों तरफ की नाली करीब डेढ़ फीट और मेड़ की ऊंचाई करीब छह इंच रखें. इससे पानी लगाते समय जलभराव की समस्या नहीं आती है. इस बात का ध्यान रखें कि कंद को मेड़ों पर लगाते हैं तो ये पूरी तरह से दबनी चाहिए.

पौधों से पौधों की दूरी तीस सेमी और लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी रखी जाती है. वहीं सबसे जरूरी बात याद रखें कि करीब 800 मीटर दूरी तक कोई दूसरी बीज उत्पादन की फसल नहीं लगानी चाहिए. 

फसल इस तरह होगी तैयार
किसी भी अन्य फसल की तरह इसे भी समय-समय पर निगरानी की जरूरत होती है, क्योंकि कई बार ऐसे भी पौधे इनमें दिख जाएंगे, जिनमें फूल ही नहीं होते हैं. इन पौधों को निकालते रहना चाहिए. मधुमक्खियां की कॉलोनियां रखने से पैदावार और भी बढ़ जाती है. दूसरी अम्बल या शीर्ष बीज पक जाएं और उनके बाद में आने वाले शीर्ष भूरे रंग के हो जाएं, उस समय बीज फसल काट लें.

दरअसल, सारे बीजों के पकने की प्रक्रिया एक साथ नहीं होती. ऐसे में आपको कटाई 3-4 बार करनी पड़ती है. सुखाने के बाद बीजों को अलग कर लें और छंटाई करके वायुरोधी जगह पर इनका भंडारण करें. इस तरह से एक हैक्टेयर में औसतन 400-500 किलोग्राम बीज उपज प्राप्त हो जाती है. इस तरह से आप इन अच्छी क्वालिटी के बीजों को मार्केट में उचित दामों पर बेचकर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं. 

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